लाखों का फर्जीवाड़ा, आईएफएस अफसर पर विभाग मेहरबान जांच में दोष सिद्ध होने के बाद भी नहीं हो रही कार्यवाही

सूर्यकांत चतुर्वेदी
भोपाल। प्रदेश का वन महकमा अपने जंगलराज के लिए पहचान बनाता जा रहा है । ऐसा ही एक मामला एक भारतीय वन सेवा के अफसर का सामने आया है । उन पर आर्थिक अनियमितता का मामला जांच में सही पाए जाने के बाद भी विभाग उन पर कोई कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है । यह मामला आईएफएस अफसर अजय कुमार पांडेय से संबधित है । उन पर आरोप है कि , ग्रीन इंडिया मिशन के तहत मिली राशि में से 11 लाख 85 हजार रुपए के दुरुपयोग करने का मामले की शिकायत के बाद यह आरोप सिद्ध हो चुका है , लेकिन अब तक इस मामले में किसी पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है । जानकारी के अनुसार डीएफओ होशंगाबाद के पद पर पदस्थी के दौरान अजय कुमार पांडेय ने वर्ष 2019 में 11 लाख 85 हजार रुपए ग्रामीणों के दल को महाराष्ट्र के रालेगांव सिद्धी का भ्रमण करने के नाम पर खर्च दिखाया है । इस भ्रमण में जिस राशि को खर्च कर दिया गया है , वह राशि ईएसआईपी के तहत बीते वर्ष के अपूर्ण कार्यों को पूरा करने के लिए जारी की गई थी ।
अहम बात यह है कि , उस राशि को खर्च करने के लिए न तो कोई स्वीकृति ली गई और न ही वरिष्ठ कार्यालय से उसके लिए अनुमोदन लिया गया । इसके बाद भी उनके द्वारा 21 जुलाई 2019 से लेकर 27जुलाई 2019 तक का भ्रमण कार्यक्रम तैयार कर लिया गया । इसके तहत ग्रामीणों को रालेगांव सिद्धि का भ्रमण करना बताया गया है । खास बात यह है कि , प्रस्ताव में इस भ्रमण के लिए राशि की व्यवस्था कहां से की जाएगी , इसका उल्लेख तक नहीं किया गया है । भ्रमण के नाम पर घपला करने के लिए तत्कालीन वन मंडल अधिकारी होशंगाबाद ने वित्त मंत्रालय के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए प्रतिपूर्ति भुगतान के नाम पर विभाग के आधा दर्जन कर्मचारियों के खातों में ही 4 लाख 79 हजार 765 रुपए का भुगतान करा दिया , जबकि वित्त विभाग भोपाल का आदेश क्रमांक एफ1-2/ 2013/ नियम/ चार भोपाल दिनांक 20/10/2013 की कंडिका-5 के अनुसार ई-भुगतान से राशि सीधे हितग्राहियों , सेवा प्रदायकर्ताओं , संस्थाओं और एजेंसी के बैंक खातों में जमा करने के निर्देश जारी किए गए थे । इतना ही नहीं इस भ्रमण दल में शामिल लोगों को चाय-नाश्ता करने के नाम पर भी 3 लाख 58 हजार रुपए का भुगतान किया गया । यह भुगतान तत्कालीन प्रभारी वन परिक्षेत्र अधिकारी हरगोविंद मिश्रा की महिला रिश्तेदार रंजीता तिवारी की मां जगदम्बा केटरिंग सर्विस पुरानी इटारसी के बैंक खाता क्रमांक 53018371337 में किया गया । इस भ्रमण के दौरान जो राशि नियमों को ताक पर रखकर खर्च की गई है । उसकी दर का निर्धारण करना भी मुनासिब नहीं समझा गया है । किस कर्मचारी के खाते में कितनी राशि का भुगतान हरगोविंद मिश्रा उप वन क्षेत्रपाल क्रह्य. 38165 /- और क्रह्य. 99000 /- अजय श्रीवास्तव वनपाल , क्रह्य. 97500 /- राजेन्द्र परते उप वन क्षेत्रपाल , क्रह्य. 97500 /- जीवन लाल यादव वनरक्षक , क्रह्य. 97500 /- केसरीपाल वनरक्षक क्रह्य. 50100 /- को किया गया । भ्रमण के दौरान किसानों को शिर्डी के जिस होटल में रुकना बताकर बिलों का भुगतान लिया गया है , उसका नाम सिंहगण होटल है । यह होटल मंदिर के सामने स्थित है , लेकिन उसमें कोई कमरा नहीं है , बल्कि वह चाय-नाश्ते की एक दुकान है। जांच दल के प्रतिवेदन में भी दोषी माने गए के मामले की शिकायत मिलने पर बीते साल प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख म.प्र. द्वारा बीते साल 14 मार्च को एक चार सदस्यी जांच दल का गठन सतपुड़ा टाइगर रिजर्व नर्मदापुरम के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र संचालक की अध्यक्षता में गठित किया गया था । इस जांच दल में नर्मदापुरम के वनवृत्त के वनसरंक्षक , वन संरक्षक कार्ययोजना इकाई नर्मदापुरम और उप वन मंडल अधिकारी सिवनी मालवा को बतौर सदस्य शामिल किया गया था । जांच उपरांत दल ने अपने प्रतिवेदन में की गई शिकायतों को सही मानते हुए उल्लेख किया गया है कि , बगैर राशि स्वीकृत हुए ही देयकों को भगुतान के लिए भेज दिया गया , इसके अलावा भ्रमण की योजना में कहीं भी व्यय की जाने वाली राशि की व्यवस्था किस प्रकार से होगी , इसका भी कोई उल्लेख नही पाया गया है । प्रतिवेदन में कहा गया है कि , जिस राशि को भ्रमण के नाम पर खर्च किया गया है , वह राशि ईएसआईपी की कार्यआयोजना के लिए स्वीकृत की गई थी , न की भ्रमण के लिए । जांच दल का निष्कर्ष जांच दल ने अपनी जांच के निष्कर्ष में कहा है कि , भ्रमण कार्यक्रम की स्वीकृति वरिष्ठ कार्यालय द्वारा 1 अक्टूबर 2019 को प्रदान की गई है , जबकि तत्कालीन वन मंडल अधिकारी होशंगाबाद सामान्य द्वारा 21 जुलाई 2019 को ही भ्रमण कार्यक्रम तैयार कर संबधित स्टाफ और ग्रामीणों को भ्रमण के लिए भेजा गया है । इसके लिए कोई लिखित स्वीकृति अपर मुख्य वन सरंक्षक ग्रीन इंडिया मिशन से प्राप्त ही नहीं की गई है । इसी तरह से भ्रमण में होने वाले खर्च के लिए किसी भी प्रकार की कोई दर का निर्धारण होना भी नहीं पाया गया है । निष्कर्ष में पाया गया है कि , इसी तरह से तत्कालीन परिक्षेत्र अधिकारी बानापुरा हरगोविंद मिश्रा द्वारा बगैर टेंडर और कोटेशन के ही क्रह्य. 99000 /- के बैग खरीद लिए गए । इसमें भी तत्कालीन वन मंडल अधिकारी द्वारा क्रय नियमों का पालन नहीं किया गया है । इसके अलावा अजय कुमार पांडेय की प्रमाणकों के भुगतान करने के पहले परीक्षण नहीं करने का भी दोषी माना गया है । इस आर्थिक भ्रष्टाचार में शामिल वन मंडल के लिपिकीय कर्मचारियों को भी अभी तक निलंबित नहीं किया जाकर 5 वर्ष बीत जाने पर दोषी हरगोविंद मिश्रा उप वन क्षेत्रपाल को बर्खास्त नहीं किया जाना अधिकारियों की भ्रष्टाचार के प्रति शिथिलता का परिचायक है ।