भोपालमध्य प्रदेश

मालवी, बुंदेली, निमाड़ी, बघेली भाषा में बनेगी फिल्में 

प्रदेश सरकार देगी १५ प्रतिशत अनुदान 

मालवी, बुंदेली, निमाड़ी, बघेली भाषा में बनेगी फिल्में 

– प्रदेश सरकार देगी १५ प्रतिशत अनुदान 

     आशीष दीक्षित, भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश की लोकसंस्कृति, परंपरा और भाषाई विविधता को सिनेमा के माध्यम से नई पहचान देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। फिल्म जगत में मध्यप्रदेश को विशिष्ट पहचान दिलाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार प्रयास कर रही है। इनहीं प्रयासों के तहत अब स्थानीय बोलियों में फिल्मों का निर्माण किया जाएगा। मालवी, बुंदेली, निमड़ी, बघेली और भीली बोली में फिल्म निर्माण होगा। यह पहला मौका है जब प्रदेश में इस तरह का कदम उठाया जा रहा है। हाल ही में प्रदेश सरकार ने नई फिल्म नीति लागू कर दी है। नई फिल्म नीति में क्षेत्रीय बोलियों, महिला और बच्चों पर केंद्रित फिल्मों को प्राथमिकता मिलेगी। राज्य सरकार ने अपनी नई फिल्म नीति में स्थानीय भाषाओं और बोलियों में बनने वाली फिल्मों को 15 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान देने का प्रावधान किया है।
इन भाषाओं में बनने वाले फिल्म को मिलेगी प्राथमिकता

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प्राप्त जनकारी के अनुसार मालवी, बुंदेली, निमाड़ी, बघेली और भीली जैसी स्थानीय भाषाओं में बनने वाली फिल्मों को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी। ये भाषाएं मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक पहचान का अहम हिस्सा हैं, जो प्रदेश के विभिन्न अंचलों में आज भी लोगों की बोली और संस्कृति को जीवित रखे हुए हैं। सरकार का मानना है कि इन भाषाओं में बनी फिल्में न सिर्फ मनोरंजन का माध्यम होंगी, बल्कि स्थानीय परंपराओं, लोककथाओं और जीवनशैली को सहेजने का भी कार्य करेंगी।

महिला और बच्चों पर केंद्रित फिल्मों को मिलेगा बढ़ावा 
राज्य सरकार ने समाज में सकारात्मक सोच और मूल्यों के प्रसार के लिए महिला एवं बाल केंद्रित फिल्मों को भी अतिरिक्त 15 प्रतिशत अनुदान देने का प्रावधान किया है। इसका उद्देश्य ऐसे विषयों को बढ़ावा देना है, जो महिलाओं की भूमिका, शिक्षा, सुरक्षा, सशक्तिकरण और बच्चों के समग्र विकास पर केंद्रित हों। नई नीति के तहत ऐसे फिल्म निर्माताओं को विशेष सहयोग दिया जाएगा, जो समाज सुधार, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण जीवन से जुड़े विषयों पर फिल्में बनाएंगे।

प्रदेश को फिल्म निर्माण का केंद्र बनाने की पहल
नई फिल्म नीति में न केवल आर्थिक प्रोत्साहन दिया जा रहा है, बल्कि फिल्म शूटिंग के लिए अनुमतियों को सरल और सिंगल विंडो सिस्टम के माध्यम से तेज़ करने की भी व्यवस्था की गई है। प्रदेश सरकार चाहती है कि मध्यप्रदेश देश का फिल्म निर्माण का प्रमुख स्थान बने।

प्रदेश के ये जिले बॉलीवुड की पसंद 
भोपाल, इंदौर, महेश्वर, ग्वालियर और पचमढ़ी जैसे शहरों में कई प्रसिद्ध बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। अब नई नीति के तहत सरकार का प्रयास है कि स्थानीय फिल्म उद्योग को भी समान अवसर मिले और प्रदेश के कलाकारों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त हों। संस्कृति विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह नीति प्रदेश की लोक संस्कृति और परंपराओं को सिनेमा के माध्यम से जीवंत करने का एक प्रयास है।
सरकार के बेहतर प्रयास हैं

प्रदेश सरकार फिल्म उद्योग को बढ़ावा देने के लिए जो प्रयास कर रही है वह सराहनीय है। स्थानीय बोलियों में भी फिल्मों का निर्माण के लिए अनुदान देने का निर्णय स्वागत योग्य है। फिल्मों में जो सीन दिखाए जाएं उनमें उसी लोकेशन का नाम दिया जाना चाहिए जहां शूटिंग होती है। मप्र में पूर्व में कई फिल्मों का निर्माण हुआ लेकिन स्थानीय स्तर पर नाम देने की बजाए उप्र व बिहार के स्थानों का नाम दिया जाता है।
– शरद सिंग बाबा, बॉलीवुड फिल्म अभिनेता, मुंबई

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