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चुनाव परिणामों ने किया जातिगत समीकरण ध्वस्त, टूट गए बहुतों के वहम

 

जबलपुर यश भारत। इस बार के विधानसभा चुनाव के परिणाम सबसे ज्यादा चौंकाने वाले रहे। एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी ने उन सीटों पर भी धमाकेदार जीत दर्ज की है जहां कांग्रेस की स्थिति बहुत मजबूत बताई जा रही थी। वहीं दूसरी तरफ इन चुनाव परिणामों ने कई राजनीति की मान्य परंपराओं और जाति का समीकरणों को भी ध्वस्त कर दिया है । जिले की 8 में से चार विधानसभा सीटों पर जीत और हार के गणित जातिगत समीकरणों पर निर्धारित थे। वहीं अन्य चार सीटों पर जाति का प्रभाव भी कहीं ना कहीं दिखाई दे रहा था । लेकिन जो परिणाम सामने आए हैं उसने सभी जातियों के समीकरणों को गलत बताते हुए एक अलग ही समीकरण सामने रखे हैं।

यहां था सबसे ज्यादा असर

जबलपुर जिले की पनागर और पाटन विधानसभा सीट पर जाति का फैक्टर सबसे ज्यादा निर्णायक बताया जा रहा था। यदि पाटन विधानसभा सीट की बात करें तो यहां ब्राह्मण वोट का एक बहुत बड़ा हिस्सा कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश अवस्थी की तरफ कहा जा रहा था। वही पटेल वोट में भी नीलेश अवस्थी को मजबूत माना जा रहा था। लेकिन जिस तरीके से परिणाम भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी अजय बिश्नोई के पक्ष में आए हैं। उसने इन सभी प्रयासों को गलत साबित कर दिया है ।वही पनागर विधानसभा सीट की बात करें तो यह कांग्रेस की टिकट का आधार ही जातिगत फैक्टर था। जिसको साधकर वह पनागर के साथ-साथ पाटन में भी फायदा लेना चाहती थी । लेकिन जिस तरीके से पनागर से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी इंदु तिवारी ने 40000 से अधिक मतों की जीत हासिल की है वह तो कुछ और ही बता रहा है। वहीं पनागर के जिस क्षेत्र में राजेश पटेल को सामाजिक मजबूती के कारण आगे बताया जा रहा था वहां से भी वह लंबी लीड के साथ पिछड़े हैं । जिस ने जाति के समीकरणों को पूरी तरह से गलत साबित किया है।

फूट गया गुब्बारा

ग्रामीण की सीटों के साथ-साथ मध्य विधानसभा की सीट पर भी जातिगत और सामाजिक समीकरण असरदार दिखाए जा रहे थे। जिसको लेकर टिकट में भी दावेदारी की जा रही थी। जब टिकट सामाजिक और जातिगत समीकरणों के हिसाब से नहीं मिली तो विरोध के भी मजबूत स्वर दिखाई दे रहे थे। ऐसे में समाज विशेष की वोट जीत और हार के लिए निर्णायक बताई जा रही थी। लेकिन जिस तरीके से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी अभिलाष पांडे ने सभी समीकरणों को दरकिनार करते हुए एक बड़ी जीत दर्ज की है उसके चलते इस विधानसभा क्षेत्र में भी दो दशकों से चला आ रहा सामाजिक समीकरण खोखली बातें ही साबित हुआ है।

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