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कतर के जेल में बंद आठ पूर्व भारतीय नौसैनिक रिहा : मोदी के बिना संभव नहीं थी वापसी…’, मौत की सजा पाए पूर्व नौसैनिकों ने जताया आभार

भारत को बड़ी कूटनीतिक जीत मिली है. जासूसी के आरोपों में कतर के जेल में बंद आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों को रिहा कर दिया गया है. अब विदेश मंत्रालय ने बताया कि उन्हें रिहा कर दिया गया है और इनमें से सात पूर्व नौसैनिक अपने वतन लौट चुके हैं. बताया जा रहा है कि कतर से लौट पूर्व नौसैनिकों ने अपनी सरजमीं पर वापसी करते ही भारत माता की जय के नारे लगाए.

पीएम मोदी के बिना संभव नहीं थी रिहाई: पूर्व नौसैनिक

कतर से भारत लौटे नौसेना के अधिकारी ने अपनी वापसी पर कहा कि पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बिना हमारा फिर से वापस लौटना संभव नहीं था. भारत सरकार ने लगातार हमारी रिहाई के लिए लगातार प्रयास किए थे. कतर से लौटे नौसेना के दिग्गजों में से एक का कहना है, हमने भारत वापस आने के लिए लगभग 18 महीने तक इंतजार किया.हम पीएम के बेहद आभारी हैं. यह उनके व्यक्तिगत हस्तक्षेप और कतर के साथ उनके समीकरण के बिना संभव नहीं होता. हम भारत सरकार द्वारा किए गए हर प्रयास के लिए तहे दिल से आभारी हैं और उन प्रयासों के बिना यह दिन संभव नहीं होता.

विदेश में मंत्रालय ने जताई खुशी

पूर्व सैनिकों की रिहाई के बारे में जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा, भारत सरकार कतर में हिरासत में लिए गए दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है. उन आठ लोगों में से सात भारत लौट आए हैं. हम इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी को सक्षम करने के लिए कतर के अमीर शेख के फैसले की सराहना करते हैं.

भारतीय नौसेना के आठ पूर्व सैनिकों में- कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक राकेश शामिल हैं. जो कतर में अलदाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी में काम कर रहे थे, जो कि एक सर्विसेज और रक्षा सेवा प्रदान करने वाली कंपनी है.

पिछले साल सुनाई की मौत की सजा

बता दें कि इन सभी आठ पूर्व भारतीय सैनिकों को जासूसी के आरोपों में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था और 26 अक्टूबर, 2023 को कतर की एक अदालत ने सभी को मौत की सजा सुनाई थी. इसके बाद भारतीय सरकार ने नागरिकों की रिहाई के लिए कानूनी विकल्प तलाशना शुरू कर दिया था.

इसके बाद बीते साल 1 दिसंबर, 2023 को दुबई में COP28 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल-थानी के बीच बैठक के बाद पूर्व नौसैनिकों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था.

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