अध्यात्मजबलपुरदेशभोपालमध्य प्रदेशराज्य

जीवन ज्योतिष में यशभारत के संस्थापक आशीष शुक्ला की पं.लोकेश व्यास से चर्चा: दांपत्य जीवन में शादी के 7 फेरों को रखना होगा ध्यान में

राहु-केतु के प्रभाव पर दी गईं अहम जानकारियां

WhatsApp Image 2024 09 11 at 13.52.12

जबलपुर,यशभारत। मनुष्य के जीवन की कुंडली में चक्र, लग्न व ग्रहों की दृष्टियां देखी जातीं हैं। जिस मनुष्य के जीवन में ग्रहों का विपरीत असर रहता है उनके लिए सबसे पहला हल दान, दूसरा हल मंत्र, तीसरा तंत्र, चौथा औषधि और पांचवा विज्ञान रहता है। आज के इस कलयुग में दान का सबसे बड़ा महत्व होता है। रत्न का कुछ हद तक ही असर मनुष्य के जीवन में होता है। किसी के जीवन में, दाम्पत्य जीवन में राहु-केतु का असर है तो उसे सबसे पहले दान करना चाहिए। ज्योतिष में जो योग बनते हैं उसके तहत राहु अकारण व्यक्ति को महत्वाकांक्षी बना देता है, राहु छल, कपट, माया का ही रूप है। यदि किसी के जीवन में राहु प्रबल है तो उस इंसान में राक्षसी प्रवृत्तियां आ जातीं हैं और यदि किसी इंसान की कुंडली में राहु ठीक बैठा है तो वह उसे बहुत आगे ऊंचाईयों पर भी ले जाता है। राहु पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों होता है। ये सारी बातें ज्योतिषाचार्य पं. लोकेश व्यास ने यशभारत के संस्थापक व वरिष्ठ पत्रकार आशीष शुक्ला से विशेष चर्चा के दौरान कहीं। इस मौके पर पंडित लोकेश व्यास ने ये भी बताया कि केतु एक भ्रम है जिसे समझना और पकडऩा बहुत मुश्किल है। केतु दूसरे ग्रहों की प्रवृत्ति के हिसाब से फल देता है। केतु का प्रभाव मनुष्य को आलसी बनाता है। विशेष चर्चा में यशभारत के संस्थापक आशीष शुक्ला ने बताया कि पंडित लोकेश व्यास से अगली विशेष चर्चा में पारिवारिक समस्याओं में ग्रहों की भूमिका के विषय पर चर्चा की जाएगी।
राहु-केतु की ये है मान्यता
राहु-केतु की मान्यताओं के संबंध में पंडित लोकेश व्यास ने यशभारत के संस्थापक आशीष शुक्ला से चर्चा के दौरान कहा कि हिंदू धर्म में ज्योतिष के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ था तो भगवान विष्णु मोहिनी रूप में स्वरभानू राक्षस को अमृतपान करा रहे थे। इसी समय चंद्रमा, सूर्य ने भगवान से शिकायत की तो भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राक्षस की गर्दन काट दी थी। इस समय स्वरभानु राक्षस का धड़-केतु और सिर राहु कहलाया था। वहीं खगोल शास्त्र के अनुसार चंद्रमा , सूर्य की कक्षा के दो बिंदु होते है जो उत्तर का हिस्स होता है वो राहु है और जो दक्षिण का हिस्सा है वो केतु।
मनुष्य को संयम नहीं खोना चाहिए
यशभारत के संस्थापक आशीष शुक्ला ने पंडित लोकेश व्यास से पूछा कि आम जीवन में कुछ ऐसे मित्रों को राहु-केतु आ गए की उपाधि क्यों दी जाती है जिस पर पंडित लोकेश व्यास ने कहा कि सनातन काल से दैवीय शक्तियों के साथ दानवीय शक्तियां का प्रभाव अभी तक चला आया है। इसलिए मनुष्य को अपना संयम नहीं खोना चाहिए।
शादी के 7 फेरों को रखना होगा ध्यान में
दाम्पत्य जीवन में राहु-केतु के प्रभाव के सवाल पर पंडित लोकेश व्यास ने कहा कि हिंदू धर्म में सात फेरे होते हैं और ग्रहों की अपनी प्रवृत्ति होती है। इसलिए दाम्पत्य जीवन में इन सात फेरों के महत्व को ध्यान में रखना चाहिए। और ये जानना चाहिए कि मनुष्य ही मनुष्य की सबसे बड़ी संपत्ति है।
राहु लेता है अन्य ग्रहों से काम
पंडित लोकेश व्यास ने ये भी बताया कि राहु अन्य ग्रहों से काम लेता है। अगर राहु की डिग्री कमजोर है तो लोग आपसे काम लेंगे। कई बार देखा जाता है कि बड़े अधिकारी छोटे कर्मचारी की बात मानकर फाइल आगे बढ़ा देते हैं क्योंकि छोटे कर्मचारी के राहु की डिग्री अधिक होती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WhatsApp Icon Join Yashbharat App