जबलपुरमध्य प्रदेश

DIAL-100 बैठने का जुगाड़ नहीं चेंबर की तालाश

किसी जमाने में जबलपुर में दो उपकप्तान हुआ करते थे। अब शहर में 5-5 एडीशनल एसपी हैं । स्थिति यह हो गई है कि नए साहबान आए हैं उनके बैठने का जुगाड़ नहीं है। एसपी कार्यालय में बैठने का अपना अलग- कलर होता है। अधिनस्थ जगह खोज रहे हैं कि नये साहब को बैठाला जाए। खैर देखना ये है कि किसका पहले जुगाड़ लगता है।

किसी के पर कटे, किसी की पौबारह,,,,

हाल ही में पांच-पांच उपकप्तानों के बीच जो कार्यभार बांटा गया है, वह अजीबो-गरीब है। एक वक्त था जब ग्रामीण एडीशनल एसपी के पास कार्यालय से लेकर पुलिस लाइन तक देख-रेख में रहती थी। वर्तमान में माइक-3 कहे जाने वाले ग्रामीण उपकप्तान को दो भाग कर दिए गए हैं। वही यातायात कप्तान की कमान संभालने वाले की पौ-बारह हो गई है। हुआ यूं कि जब नए ग्रामीण एडीशनल एसपी ने पद भर संभाता तो उन्हेें पता चला कि दो डिवीजन उनके पास नहीं हैं। एक महिला उपकप्तान को दो डिवीजन की जवाबदारी दी गई है। इधर यातायात उपकप्तान के पास शहर के एक भाग की जवाबदारी दी गई है अब विभाग में चर्चा यह है कि यातायात के साथ-साथ शहर की जवाबदारी मिलना भी सवाल के जन्म देती है।

जो मतलब के नहीं वे रवाना जो जाना नहीं चाहते वे परेशान,,,,, 

थाना कप्तानों के तबादले में लाइन में पदस्थ निरीक्षकों को तेजी से रिलीव कर दिया गया है। जो थानों में पदस्थ निरीक्षक जाना नहीं चाहते थे वह अभी भी मोर्चा संभाले हैं। अपना दर्द किससे कहें जो मनपसंद जिले गए हैं उनका मनपसंद थाना भी तय था। पता चला कि पड़ोसी जिले में मन पसंद थाने में किसी और की पोस्टिंग हो गई है।

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