मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में कमिश्नर के आदेश को ठेंगा: नर्सिंग कॉलेज प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज प्रोफेसर का अटैचमेंट

जबलपुर, यशभारत। मप्र आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी में संभाग कमिश्नर के आदेश को ठेेंगा दिखाया जा रहा है। मनाही के बाद भी विवि में अटैचमेंट का खेल जारी है। हाल ही में संभाग कमिश्नर ने आयुर्वेंद कॉलेज के दो प्रोफसरों के अटैचमेंट मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में किए जाने पर कड़ा ऐतराज जताते हुए तत्काल मूल विभाग भेजने के निर्देश दिए थे। जानकर हैरानी होगी कि यूनिवर्सिटी ने कमिश्नर के आदेश के खिलाफ जाकर नर्सिंग कॉलेज की प्राचार्य और मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर को विवि में अटैच किया है। अटैचमेंट दोबारा किए जाने के बाद विवि और नेताजी सुभाष चंद्र मेडिकल कॉलेज में तरह-तरह की चर्चाएं है। इधर विवि अधिकारियों से जब प्राचार्य और प्रोफेसर का अटैचमेंट किए जाने का सवाल किया गया तो वह साफ मुकर गए। उनका कहना था कि किसी भी तरह का अटैचमेंट नहीं किया गया है।
सोशल मीडिया पर अटैचमेंट के आदेश वायरल
यूनिवर्सिटी के जिम्मेदार अधिकारी किस तरह से सफेद झूठ बोल रहे हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सोशल मीडिया पर नर्सिंग कॉलेज की प्राचार्य और मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर का विवि में अटैचमेंट का आदेश वायरल हो रहा है। आदेश में विवि के कुलसचिव के हस्ताक्षर है।
शासन नियमों के विपरीत जाकर अटैचमेंट
बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज सहित अन्य चिकित्सा संस्थानों में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारियों का अटैचमेंट विवि में नहीं किया जा सकता है। बाबजूद विवि के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा नर्सिंग कॉलेज की प्राचार्य और मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर का अटैच किया गया है। जानकार बताते हैं कि जो भी अटैचमेंट होता है वह शासन स्तर से होता फिर भी विवि ने स्थानीय स्तर पर अटैचमेंट कर लिया। यहां जानने वाली बात ये है कि ऑटोनॉमस कॉलेज का अध्यक्ष कमिश्नर होता है , उनकी सहमति के बाद ही अधिकारियों का अटैचमेंट किया जा सकता है लेकिन यहां विवि ने अध्यक्ष की अुनमति नहीं ली।
नर्सिंग कॉलेज प्राचार्य निरीक्षण भी विवादों में
मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में अटैच हुई नर्सिंग कॉलेज की प्राचार्य का बीते दिनों मुरैना नर्सिंग काउंसलिंग का निरीक्षण विवादों में है। बताया जा रहा है कि एक अधिकारी जब विवि में ओएसडी बन जाता है तो वह निरीक्षण और परीक्षा जैसे कार्यों में संलग्न नहीं रह सकता है। बाबजूद प्राचार्य ने यह बात अपने वरिष्ठ अधिकारियों से छुपाई और एक प्रोफेसर के साथ मिलकर मुरैना कॉलेजों का निरीक्षण किया। बताया जा रहा है कि प्राचार्य के पति डीन कार्यालय में पदस्थ है और उसी का फायदा उठाकर शासन के विपरीत जाकर काम किया जा रहा है।