जबलपुर, यशभारत। स्कूली शिक्षा व्यवस्था को सुधारने का लाखे दावे-वादे किए जाए पर धरातल में स्थिति जैसी की तैसी है। मप्र सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान लगातार स्कूलों की व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए बल दे रहें हैं। यहां तक कि सरकार की सबसे महत्वकांक्षी सीएम राइज योजना भी प्रदेश में संचालित कर दी गई है। करोड़ों रूपयों की योजना लागू करने के पीछे मुख्यमंत्री शिवराज का यही मकसद है कि सरकारी स्कूल में बेहतर शिक्षा व्यवस्था हो, गरीब तबके के लोगों को अपने बच्चों का प्रवेश प्राइवेट स्कूलों में न कराने पड़े उन्हें बेहतर शिक्षा सरकारी स्कूल में ही मिले। इस योजना के तहत सीएम राइज स्कूल में परीक्षा और योग्यता के माध्यम से प्राचार्यों की नियुक्ति की गई।
सबसे होनहार और उर्जावान शिक्षक-प्राचार्यों की तैनाती इन स्कूलों में की गई। लेकिन जानकर हैरानी होगी जबलपुर के सीएम राइज स्कूल में ऐसे प्राचार्यों की नियुक्ति कर दी गई जिनसे मूल्यांकन कराते तक नहीं बन रहा है। सवाल उठता है कि जब प्राचार्य से मूल्यांकन कराते नहीं बन रहा है तो वह क्या सीएम राइज स्कूलों में शैक्षणिक व्यवस्था बना पाएगा। माध्यमिक शिक्षा मंडल ने करीब 38 शिक्षक-प्राचार्यों की सूची जारी की जिसमें मूल्यांकन कार्य में लापरवाही करने पर अर्थदंड लगाया गया है।
आंख बंदकर बैठे भोपाल के अधिकारी
प्रदेश के मुखिया द्वारा सीएम राइज योजना के सफल क्रियाव्यन के लिए सतत माॅनीटरिंग की जा रही है, अधिकारियों को आदेश-निर्देश जारी किए जा रहे हैं। लेकिन मुखिया के आकांक्षाओं को भोपाल में बैठे शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी पानी फेर रहे हैं। भोपाल शिक्षा विभाग के कार्यालयों में ढेरों ऐसी शिकायतें पड़ी हुई जिसमें सीएम राइज योजना के तहत स्कूलों में हुई गलती नियुक्तियों की है।
चयन प्रक्रिया पारदर्शिता नहीं, चहेतों को लाभ दिया गया
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के योगेंद्र दुबे ने आरोप लगाते हुए बताया कि सीएम राइज योजना में जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी पलीता लगा रहे हैं। स्कूलों में प्राचार्य-शिक्षकों की चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं रखी गई जिसका नतीजा ये है कि प्रदेश सरकार की महत्वकांक्ष्ी योजना जबलपुर में दम तोड़ती नजर आ रही है।