जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

विधानसभा चुनाव के परिणाम कल :- क्या बदलेगा 2018 का इतिहास ?

जिले की सीटों पर सीधा मुकाबला

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जबलपुर यश भारत। रविवार को विधानसभा चुनाव 2023 के परिणाम सामने आने वाले एक ओर जहां प्रदेश में किसकी सरकार बन रही है। इसको लेकर सबसे ज्यादा कयास लगाए जा रहे हैं। वहीं जबलपुर जिले की आठ विधानसभा सीटों को लेकर भी कयासों का बाजार तेज है। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव परिणाम में एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी को 8 में से चार सीट पर संतोष करना पड़ा था। वही कांग्रेस अपनी दो सीटों को बढ़ाकर चार करने में कामयाब रही।
अब इस विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियों के पास चार-चार विधानसभा सीट हैं । अब देखना दिलचस्प होगा कि 2023 के इस चुनाव में 2018 का इतिहास बदलेगा या आंकड़ा वही रहेगा। यह कल सामने आ जाएगा।
उत्तर मध्य में पार्टी बनाम काम की लड़ाई
शहर की प्रमुख विधानसभा सीट उत्तर मध्य विधानसभा में इस बार मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी के चेहरे और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच बताया जा रहा है । 2018 में भाजपा में हुई बगावत के चलते कांग्रेस को यहां जीत का स्वाद दो दशकों के बाद चखने मिला था। लेकिन इस बार मुकाबला आमने-सामने का बताया जा रहा है। जिसमें भाजपा की ताकत उनके कार्यकर्ता हैं। वहीं कांग्रेस की तरफ से विनय सक्सेना अपने 5 साल का हिसाब सामने रखकर जीत का दावा कर रहे हैं।
पश्चिम में प्रतिष्ठा लगी है दांव पर
जिले की ही नहीं प्रदेश की चर्चित विधानसभा सीट है पश्चिम। जहां से भाजपा के चार बार के सांसद राकेश सिंह और प्रदेश सरकार में पूर्व वित्त मंत्री रहे तरुण भनोत आमने-सामने हैं । पश्चिम भाजपा का परंपरागत गढ़ रहा है। यहां से भाजपा ने जीत के कई रिकॉर्ड तोड़े हैं। लेकिन पिछले दो चुनाव से यहां कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया है। लेकिन इस बार दो बड़े चेहरों के बीच में जो लड़ाई है उसने इस सीट को सबसे ज्यादा हॉट सीट बना दिया है और रुझानों में भी यहां पर सीधी टक्कर दिखाई दे रही है।
पूर्व से किसका होगा उदय
पूर्व विधानसभा सीट की राजनीति का एक अपना अलग ही मिजाज है। यहा क्षेत्रीय समीकरणों के साथ-साथ जाति का समीकरण भी जीत हार में निर्णायक भूमिका निभाता है। यह देखना होगा कि इस बार का रुख क्या रहता है या पिछली बार की जीत का बड़ा अंतर इस बार कांग्रेस के लिए मददगार साबित होगा।
कैंट का अपना समीकरण
जिले में मध्य, पश्चिम और कैंट विधानसभा सीट पिछले 3 दशकों से भाजपा के लिए मजबूत किला रही हैं। लेकिन पिछले दो चुनाव में पहले पश्चिम हाथ से निकला फिर उसके बाद मध्य भी फिसल गया। लेकिन कैंट सीट पर भाजपा की बादशाहत 3 दशकों से बरकरार रही है । अब इस बार देखना होगा कि यहां भाजपा की मजबूती पहले से अधिक मजबूत होती है या फिर यह किला कुछ कमजोर होता है।

पनागर में भी मुकाबला दिलचस्प
यदि ग्रामीण विधानसभा सीटों की बात करें तो पनागर में इस बार का विधानसभा चुनाव परिवर्तन और जाति के समीकरणों को केंद्र में रखकर लड़ा गया। लेकिन भारतीय जनता पार्टी परिसीमन के बाद हुए सभी चुनाव में यहां से जीत हासिल करती आई है। यदि पिछले चुनाव की बात करें तो यहां से भाजपा को 40000 से अधिक वोटों से जीत प्राप्त हुई थी जो महाकौशल की सबसे बड़ी जीत थी। इस बार क्या यह जीत बरकरार रह पाएगी या नहीं।वहीं कांग्रेस को परिवर्तन की पूरी उम्मीद है।
पाटन में सीधा मुकाबला
इस बार पाटन विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच में सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है । 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी ने आश्चर्यचकित कर देने वाले परिणाम सामने रखे थे। जो इलेक्शन मैनेजमेंट का सबसे शानदार उदाहरण माना जाता है। अब इस बार भी वही चेहरे आमने-सामने है जो 2013 और 18 में एक-एक बार जीत और हार का स्वाद ले चुके हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार गेंद किसके पाले में जाती है।
बरगी के बागी कितना करेंगे प्रभावित
बरगी विधानसभा सीट में भी भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला बराबरी का दिखाई दे रहा है। हालांकि दोनों ही प्रत्याशी अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। लेकिन यहां से दो बाकी प्रत्याशी जीत और हार के समीकरण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका बता रहे हैं। दिलचस्प होगा कि इन दो बागियों को कितने मत मिलते हैं जो जीत और हर के आंकड़े को प्रभावित करने के लिए काफी रहते हैं या नहीं ।
सिहोरा में युवा चेहरों का मुकाबला
जिले की एकमात्र आदिवासी आरक्षित सिहोरा सीट पर इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही नए चेहरों पर दांव लगाया है। यहां पिछले दो चुनावों से भाजपा को जीत हासिल हो रही है लेकिन इस बार यहां मुकाबला बड़ा ही रोचक दिखाई दे रहा है। क्योंकि दोनों ही पार्टियों ने नए चेहरों को मौका दिया है द्य जिसके चलते लड़ाई पूरी ताकत से हुई है ।लेकिन कांग्रेस की तरफ से निर्दलीय ने मैदान में उतरकर मामले को और रोचक बना दिया है। अब देखना होगा कि दोनों ही पार्टियों के युवा चेहरे क्या रंग दिखाते है।

 

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