जबलपुर यश भारत। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 88 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी। इसमें पहली लिस्ट में जारी सीटों में से 3 सीटों पर प्रत्याशी बदले हैं। जिसमें कि जिस सीट की चर्चा सबसे ज्यादा थी वह है गोटेगांव, जिसमें कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति का टिकट काट दिया गया था। आज की लिस्ट में सबसे चौंकाने वाली बात थी कि कांग्रेस ने गोटेगांव में इसके पूर्व में लिस्ट में शेखर चौधरी को प्रत्याशी घोषित किया था परंतु आज की लिस्ट में शेखर चौधरी का नाम हटाकर एनपी प्रजापति को पुनः गोटेगांव से प्रत्याशी बना दिया है। जैसा कि विदित है एनपी प्रजापति को टिकट न मिलने के बाद तरह-तरह की चर्चाओं का माहौल गर्म था जिसमें की पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की भाजपा में शामिल होने की अटकलें भी चल रही थी। इसके पूर्व गोटेगांव से प्रत्याशी न बनाएं जाने के उपरांत एनपी प्रजापति ने यश भारत में कांग्रेस संगठन में विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए अपनी भूमिका का निर्वहन ईमानदारी से करने की बात कही थी।इसके अलावा दतिया से अवधेश नायक की जगह राजेंद्र भारती, पिछोर से शैलेंद्र सिंह की जगह अरविंद सिंह लोधी व भाजपा से कांग्रेस में आए दीपक जोशी को खातेगांव से टिकट दिया गया
संवैधानिक व्यवस्थाओं के अधीन रहकर किया था दायित्वों का निर्वहन- एन पी प्रजापति
यश भारत के पिछले अंक में ही विधानसभा अध्यक्ष एमपी प्रजापति द्वारा अपना पक्ष रखते हुए चर्चा के दौरान बताया था कि इस तरह का यह कोई पहला मामला नहीं है। जब भाजपा द्वारा धन-बल का प्रयोग करके सरकार गिराई हो । लेकिन विधानसभा अध्यक्ष को नियमों का पालन करते हुए संवैधानिक व्यवस्थाओं के अधीन काम करना पड़ता है। सबसे बड़ी बात यह होती है कि पूरे मामले सुप्रीम कोर्ट चले जाते हैं जिसके बाद निर्णय कोर्ट के माध्यम से होते हैं। फिर बतौर विधानसभा अध्यक्ष उसे स्वीकार करना पड़ता है । इस तरह से भाजपा ने सिर्फ मध्य प्रदेश में सरकार नहीं गिराई है कर्नाटक और महाराष्ट्र उसके ज्वलंत उदाहरण हैं। इसके अलावा और भी राज्य हैं जहां विधानसभा अध्यक्षों को न चाहते हुए भी इस्तीफा स्वीकार करने पड़ते हैं। ऐसे में पक्षपात के आरोप लगाना पूर्णतः गलत है । मैंने सिर्फ अपने दायित्वों का पालन किया है पार्टी के खिलाफ मेरे द्वारा कोई भी गलत और अनैतिक काम नहीं किया गया है। सवाल तो यह भी उठना है कि सरकार गिरे 3 साल का समय बीत गया है। लेकिन इस विषय में कभी भी कोई सवाल नहीं उठाए गए। अब चुनाव के ठीक पहले इस तरह के सवाल उठाना उसकी विश्वसनीयता पर खुद ही सवाल खड़े करता है।