
विदिशा । लोकायुक्त की टीम ने शुक्रवार की शाम को जिला पंचायत कार्यालय के लेखाधिकारी मनोज राय को एक रोजगार सहायक से बहाली के लिए 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ लिया। राय ने रोजगार सहायक से 30 हजार रुपये की मांग की थी, जिस पर वह रिश्वत की पहली किस्त देने जिला पंचायत पहुंचा था।
शुक्रवार की शाम को कार्यालय का समय समाप्त होने के बाद अधिकांश कर्मचारी अपने घर के लिए रवाना हो गए थे। कार्यालय के भूतल पर ही मुख्य द्वार के बगल में बने कक्ष में लेखाधिकारी मनोज राय अकेले बैठे थे। कार्यालय के बाहर लोकायुक्त टीम के साथ खड़े निलंबित रोजगार सहायक ऋषिराज कुर्मी ने राय को फोन लगाया। राय ने उसे अपने कक्ष में बुलवा लिया। ऋषिराज 15 हजार रुपये का लिफाफा लेकर उनके कक्ष में पहुंचा। उसके साथ कुछ दूरी पर लोकायुक्त टीम का एक सदस्य खड़ा था वही कार्यालय के मुख्य गेट पर एक राजपत्रित अधिकारी मौजूद थे। लोकायुक्त इंस्पेक्टर रजनी तिवारी जिंस- शर्ट पहने और नीलम पटवा सलवार कुर्ते में परिसर में खड़ी थी। ऋषिराज अकेले राय के कमरे में गया और लिफाफा देकर वह तत्काल बाहर आ गया। बाहर आकर उसने अपने सिर पर हाथ फेरा। लोकायुक्त टीम के लिए यह इशारा था। टीम के पांच सदस्य तेजी से राय के कमरे में घुस गए। यह देखकर राय घबरा गया। जब तक वह कुछ बोलता उसे टीम ने पकड़ लिया। उसकी जेब से 15 हजार रुपये का लिफाफा बरामद कर लिया। इंस्पेक्टर रजनी तिवारी ने बताया कि राय के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।
इसलिए मांग रहा था रिश्वत
ऋषिराज ने बताया कि वह मैनवाड़ा पंचायत में रोजगार सहायक के पद पर पदस्थ था। वर्ष 2017 में उस पर आर्थिक अनियमितता का आरोप लगाकर उसे बर्खास्त कर दिया गया था। जिस पर उसने ग्वालियर उच्च न्यायालय में बर्खास्तगी के विरुद्ध प्रकरण लगाया था। उच्च न्यायालय ने जिला पंचायत सीईओ के जांच कराने के निर्देश दिए थे। ऋषिराज के मुताबिक उनके मामले की जांच रिपोर्ट लेखाधिकारी के पास थी। राय यह रिपोर्ट उनके पक्ष में करने के लिए 30 हजार रुपये की मांग कर रहे थे। इसके बाद उन्होंने लोकायुक्त एसपी मनु व्यास से मनोज राय की लिखित शिकायत की थी। जिस पर लोकायुक्त टीम ने राय को रिश्वत लेते पकड़ा है।