जबलपुरभोपालमध्य प्रदेशराज्य

नर्मदा नहर टनल निर्माण में लेटलतीफी पर हाईकोर्ट ने सरकार से मंगाई स्टेटस रिपोर्ट

Spread the love

नर्मदा नहर टनल निर्माण में लेटलतीफी पर हाईकोर्ट ने सरकार से मंगाई स्टेटस रिपोर्ट

 

युं.का जिलाध्यक्ष दिव्यांशु मिश्रा अंशू की जनहित याचिका में अधिवक्ता वरुण तनखा ने तर्क देते हुए कहा कटनी सहित मैहर, सतना और रीवा जिलों में 13 साल बाद भी नही मिला पानी।कटनी जिले में स्लीमनाबाद के समीप बनाई जा रही नर्मदा दायी तट नहर की टनल 13 साल गुजरने के बाद भी अधूरी पड़ी है।जिससे कटनी के साथ मैहर ,सतना और रीवा जिले के लोगों को पीने और सिचाई के लिए नर्मदा का पानी उपलब्ध नही हो पा रहा है।निर्माण में लेटलतीफी और अनुबंध की शर्तों का उल्लघन कर ठेकेदार को करोड़ो का अतिरिक्त भुगतान किया जा रहा है।शहरवासियों को पानी मिलने में की जा रही हीलाहवाली पर युंका जिलाध्यक्ष व समाजसेवी दिव्यांशु मिश्रा अंशु ने माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष जनहित याचिका दायर की।याची के अधिवक्ता वरुण तनखा ने मामले पर पैरवी करते हुए प्रोजेक्ट में निर्धारित समय से 13 वर्ष अधिक गुजर जाने और 799 करोड़ के ठेके में 1450 करोड़ रुपये भुगतान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए अनेक तर्क और तथ्य प्रस्तुत किये।जिस पर एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और विनय सराफ़ की बेंच प्रदेश शासन को चार सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।अधिवक्ता हर्षित बारी,बन्मित सरना ने भी याचिकाकर्ता का पक्ष रखा।गौरतलब है कि बरगी व्यपवर्तन परियोजना में नर्मदा दायीं तट नहर से कटनी के साथ मैहर, सतना और रीवा जिले तक नर्मदा का पानी पहुंचाने के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।जिसमे किलोमीटर क्रमांक 104 से 129तक 12 किमी लम्बाई की टनल व 13 किमी ओपन नहर के निर्माण के लिए टर्न – की टेंडर के तहत हैदराबाद की कम्पनी पटेल इंजीनियरिंग-एस ई डब्ल्यू(संयुक्त उपक्रम)ने 26/03/2008 को विभाग के साथ अनुबंध किया था।ठेके की लागत 799 करोड़ और समयसीमा 40 माह निर्धारित की गयी थी।जो 25/07/2011 को पूर्ण हो गई।समयसीमा गुजरने के बाद अब तक 6 बार समयवृद्धि दी जा चुकी है लेकिन अभी भी टनल का निर्माण पूरा नही हो पाया है।निर्माण एजेंसी को अब तक 799 करोड़ रुपये के अनुबंध के विरुद्ध लगभग 1500 करोड़ रुपयों से अधिक का भुगतान किया जा चुका है।टर्नकी टेंडर के अनुबंध की शर्तों और नियमो में बदलाव का खेल करते हुए विभागीय अधिकारियों ने सर्वे,ग्राउटिंग , डी- वाटरिंग और सॉफ्ट निर्माण के नाम पर करीब 90 करोड़ रूपये से अधिक का घोटाला कर लिया है।

टर्नकी बेस टेंडर होने पर भी ग्राउंड ग्राउटिंग कार्य के लिएअलग से टेंडर जारी किया गया। जिसमे करीब 13करोड़ 23 लाख रुपये इंदौर की कंपनी को भुगतान किया गया।जबकि यह कार्य ठेकेदार के मूल अनुबंध में शामिल था। हाल ही में 5 जुलाई 2024 को फिर से विभाग ने 4 करोड़ 80 लाख का गैरजरूरी टेंडर जारी किया है।

टर्नकी टेंडर होने पर भी टनल निर्माण के दौरान डी-वाटरिंग के नाम पर घपला करते हुए अभी तक 50 करोड़ (49.87 करोड़) रूपये का भुगतान निर्माण एजेंसी को किया जा चुका है।

डाउन स्ट्रीम की टीबीएम मोहदापुरा (स्लीमनाबाद) में बिगड़ने पर सुधार के लिए जब निर्माण एजेंसी अनुबंध के मुताबिक साफ्ट बना रही थी तभी अधिकारियों ने कालांतर में टनल की मरम्मत के नाम पर पक्का शाफ्ट बनाने के लिए 26 करोड़ रुपये स्वीकृत कर यह काम बिना टेंडर के निर्माण कंपनी को ही देते हुए 13 करोड़ 56 लाख का भुगतान कर दिया है।

6 . सॉफ्ट निर्माण का काम जोड़कर निर्माण एजेंसी को दोनो टीबीएम बाहर लाने में ठेकेदार को सहूलियत दी गई। जानबूझकर 9 महीने में अब तक सॉफ्ट न बनाकर काम में लेटलटीफी की जा रही है। जबकि डाउन स्ट्रीम मशीन के सुधार के लिए एक शाफ्ट और कार्य पूर्ण होने पर अप स्ट्रीम टीबीएम को बाहर निकालने के लिए दूसरा शाफ्ट बनाना पड़ता जिसमे करीब 10 करोड़ रूपये खर्च होते।मामले पर अगली सुनवाई 18/10/2024 के लिए निर्धारित की गई है।

Yash Bharat

Editor With मीडिया के क्षेत्र में करीब 5 साल का अनुभव प्राप्त है। Yash Bharat न्यूज पेपर से करियर की शुरुआत की, जहां 1 साल कंटेंट राइटिंग और पेज डिजाइनिंग पर काम किया। यहां बिजनेस, ऑटो, नेशनल और इंटरटेनमेंट की खबरों पर काम कर रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Join WhatsApp Group!