जबलपुरमध्य प्रदेश

जेएनकेविवि की आरएफआईडी नई तकनीक: बगैर अनुमति के पुस्तक बाहर आई तो बज जाएगा सायरन

जबलपुर।  जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (जेएनकेविवि) ने एक नई तकनीकी ईजाद की है। दरअसल विश्वविद्यालय के लायब्रेरी से अब कोई भी स्टूण्डेस बगैर परमीशन के बुक नहीं ले जाएगा। छात्र अगर चोरी छुपे अपने साथ पुस्तक रखकर घर ले जाने की कोशिश करेगा तो सायरन बज जाएगा।
जेएनकेविवि ने आरएफआईडी (रेडियो फ्रिकवेंसी आईडेंटिफिकेशन) सिस्टम बनाया है इसके तहत लायब्रेरी में रखी सभी पुस्तकों में चिप लगाई गई है। इस चिप के सहायता से विद्यार्थी अगर बुक वापस नहीं करेगा तो इसकी जानकारी लायब्रेरी अधिकारियों को तक बड़ी आसानी से पहुंच जाएगी। इस संबंध में विवि कुलपति पीके बिसेन ने बताया कि इस सिस्टम के तहत छात्र – छात्राएं स्वत ही अपनी चाही गई पुस्तकों को प्राप्त करके ले जा सकते हैं और स्वत ही कियोस्क मशीन पर वापस कर सकते हैं।

केंद्रीय पुस्तकालय के 810 कृषि छात्र छात्राओं को स्मार्ट कार्ड प्रदान किए जा चुके हैं और लगभग 20000 पुस्तकों पर रेडियो फ्रिकवेंसी आईडेंटिफिकेशन तकनीक के टैग लगाए जा चुके हैं इस तकनीक से समय की बचत , सही एवं सटीक जानकारी एवं महत्वपूर्ण व अति उपयोगी पुस्तकों की सुरक्षा हो जाती है भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा वित्त पोषित आरएफआईडी का लाभ

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के छात्र एवं छात्राएं प्राप्त कर रहे हैं और इस सुविधा से काफी उत्साहित महसूस कर रहे हैं इसके साथ ही केंद्रीय पुस्तकालय में 65599 पुस्तके , ए पुस्तके 1174 , बॉन्ड वॉल्यूम जनरल 15357 ई जर्नल / शेरा के माध्यम से 2688 , थीसिस 10092 , ई थिसिस कृषिकोष 8283 उपलब्ध है इसके साथ ही पुस्तकालय में छात्र छात्राओं को विशेष सुविधा प्रदान करने के दृष्टिकोण से ङडऌअ , कृषिकोष , सैरा , ओपेक , सीसीटीवी कैमरे अफकर छुं ऋ्र एवं पुस्तकालय को विश्वविद्यालय की वेबसाइट से लिंक कर दिया गया है ताकि छात्र छात्राएं कोरोना काल में विभिन्न प्रकार के नोट्स एवं आवश्यक पाठ्य सामग्री सरल एवं डिजिटल माध्यम से त्वरित प्राप्त कर सकें ताकि राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में हमारे छात्र छात्राओं को किसी प्रकार की समस्य ना हो ।

इस तरह से काम करेगा सिस्टम
कुलपति डॉ. पीके बिसेन ने बताया कि यह आरएफआइडी तकनीकी रेडियों तंरगों पर आधारित है जो उन वस्तुओं को आसानी से पहचान लेती है। जिसमें रेडियों इलेक्ट्रानिक मैग्नेटिक चिप लगी है। इस तकनीक में आरएफआइडी टैग, टैग रीडर, ऐंटना लगा सुरक्षा गेट, इन्फोरमेशन कियोस्क, स्मार्ट आइडी कार्ड और सर्वर का उपयोग होता है। टैग को प्रत्येक पुस्तक में चिपकाया जाता है व इन्हें टैग रीडर के द्वारा एक्टीवेट व डीएक्टीवेट किया जाता है। जब पाठक अपने स्मार्ट कार्ड का उपयोग करके पुस्तक स्वयं प्राप्त करता है तो टैग डी-एक्टीवेट हो जाते है तथा सुरक्षा गेट इसे पहचान नहीं पाता। परंतु यदि कोई पाठक पुस्तक का बिना डिएक्टीवेट किए हुए सुरक्षा गेट के समीप से भी निकले तो गेट में लगे एंटेना उसे पहचान लेते है तथा गेट ध्वनि करने लगता है, जिसके कारण कोई भी पाठक पुस्तक को बिना इशू करवाए पुस्तकालय के बाहर नहीं ले जा पाता।

 

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Yash Bharat

Editor With मीडिया के क्षेत्र में करीब 5 साल का अनुभव प्राप्त है। Yash Bharat न्यूज पेपर से करियर की शुरुआत की, जहां 1 साल कंटेंट राइटिंग और पेज डिजाइनिंग पर काम किया। यहां बिजनेस, ऑटो, नेशनल और इंटरटेनमेंट की खबरों पर काम कर रहे हैं।

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