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विधानसभा शीतकालीन सत्र : बिजली बिल और खाद संकट का मुद्दा छाया रहा; सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष का वॉकआउट

मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन बिजली बिल और खाद्य संकट का मुद्दा छाया रहा। दोनों मुद्दों पर बहस के दौरान सरकार के जवाब से विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ। विपक्ष सदन से वॉकआउट कर गया।

भोपाल के कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने कोरोना काल में बिजली के बढ़े हुए बिलों को लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस संकट के दौर में भी बढ़े हुए बिजली के बिल उपभोक्ताओं को भेज रही है। विदिशा के कांग्रेस विधायक शशांक भार्गव ने आरोप लगाया कि सरकार लोक अदालत और बिजली बिल समाधान योजना के माध्यम से किसानों को नोटिस भेजकर वसूली कर रही है। इसे रोका जाना चाहिए।

वसूली नहीं करने की कोई घोषणा नहीं की थी

इस पर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने इसके जवाब में कहा कि सरकार ने कोरोना काल में बिजली के बिलों की वसूली नहीं करने की कोई घोषणा नहीं की थी, लेकिन सरकार ने छूट जरूर दी थीl उन्होंने दावा किया कि यदि किसी उपभोक्ता का बिजली की खपत से ज्यादा बिल भेजा गया है तो उसे सुधारा जाएगा।

किसानों लाठी मिली
इसी तरह कांग्रेस विधायक डॉक्टर गोविंद सिंह ने प्रदेश में खाद्य संकट का मुद्दा ध्यानाकर्षण के माध्यम से सदन में रखा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसानों को समय पर खाद नहीं मिलने के कारण परेशानी हुई। खाद की कमी के चलते किसानों को सड़क पर आना पड़ा और पुलिस की लाठियां खानी पड़ीं। इसके जवाब में कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि प्रदेश में खाद की कोई कमी नहीं थी। सरकार ने व्यवस्था के अनुसार सोसाइटियों को 70% और प्राइवेट दुकानदारों को 30% खाद उपलब्ध कराई थी। उन्होंने खाद की कमी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। इसके बाद विपक्ष में मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से वॉकआउट कर दिया।

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