जबलपुर, यशभारत।वेदों में गाय को सबसे पवित्र प्राणी बताया गया है। इसे मां की तरह पूज्य स्थान हासिल है। यह इसकी अनेक विशेषताओं का ही परिणाम है। जिले में तो गाये के दो ऐसे मुख है जो सदियों से लोगों को पवित्र करते आ रहा हैं। बात हो रही है बरेला के बिलगड़ा गौमुख धाम की। दरअसल यहां एक प्राकृतिक गौमुख है, जिससे 24 घंटे गुनगुना पानी बहता रहता है। यह पानी असाध्य रोगों के इलाज में भी काम आता है। नैसगिज़्क सौंदयज़् के बीच स्थित इस गौमुख के पास और भी कई प्राकृतिक धरोहरें हैं। इन्हें देखने के लिए प्रदेश के कोने-कोने से लोग गौमुख धाम पहुंचते हैं। मकर संक्रांति पर यहां विशाल मेला भी लगता है।
ऐसे निकल रहा है पानी
बरेला- पड़वार के समीप स्थित बिलगड़ा ग्राम के गौमुख धाम में प्राचीन आश्रम है। यहां प्राकृतिक कुंड बने हुए हैं। कुंड के ऊपर ही शिला के रुप में दो गाय बनी है, जिसके मुंह से लगातार पानी निकलता रहता है। पानी की खासियत यह है कि यह एकदम शुद्ध और गुनगुना रहता है। गाय के मुंह से निकला यही पानी आगे जाकर नदी के रुप में परिवतिज़्त हो जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि पता नहीं कितने वषोज़्ं से गऊ मुख से पानी निकल रहा है। ग्रामीण बताते हैं कि उनके पूवज़्ज बताते थे कि यहां पर 500 मीटर से अधिक गहराई तक जांच की गई लेकिन यह आज तक पता नहीं चल पाया कि पानी कहां से आ रहा है।
असाध्य रोगों का इलाज
कलकल निंनाद के साथ बह रही इस नदी में इस गऊ मुख का पानी जाता है। गऊ मुख के जलपान से कई असाध्य रोगों से मुक्ति भी मिलती है। पड़वार क्षेत्र का इकलौता ऐसा गांव है जो प्राकृतिक सौंदयज़् को संजोऐ हुए हैं। यह न सिफज़् पयज़्टन स्थल के नाम से प्रसिद्ध है बल्कि धामिज़्क स्थल भी खास महत्व रखता है। प्राचीन आश्रम इसे अधिक सुंदर बनाते हैं।
पूरे गांव में पानी की समस्या है
यह स्थान इसलिए महत्व रखता है क्योंकि बिलगड़ा सहित अन्य गांव में पानी की समस्या है परंतु इस स्थान में पानी अनवरत गौमुख से बह रहा है। प्रकृति के इस अजूबे को देखने के लिए न सिफज़् गांव, क्षेत्र, प्रदेश बल्कि देश के कोने-कोने से लोग यहां पहुंचते हैं और प्रकृति के इस सौंदयज़् को निहारते हैं। पयज़्टकों की सारी थकान नदी के तट का सौंदयज़् पलक झपकते ही हर लेता है।
यह है पहुंच मागज़्
जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर बरेला नगर पंचायत है। बस स्टेण्ड के ठीक बगल से एक मागज़् ग्राम पड़वार के लिए जाता है। उसके बाद बिलगड़ा गांव आता है जहां पर यह गौमुख धाम है। यहां पर मकर संक्रांति के पावन अवसर पर 14 जनवरी से 16 जनवरी तक तीन दिवसीय मेले का आयोजन होता है।
विकास से अछूता है स्थान
ग्रामीणों का कहना है कि इतना सुंदर स्थान प्रशासनिक उपेक्षा व उदासीनता का दंश झेल रहा है। इस स्थान को पयज़्टन की दृष्टि से विकसित करना चाहिए। यहां सुविधाएं उपलब्ध हो जाएं तो यह स्थान देशी-विदेशी पयज़्टकों को भी आकषिज़्त करेगा।
विकासानंद आश्रम से ज्यादा पहचान मिली
इस पवित्र स्थान को जितनी पहचान गौमुख धाम से नहीं मिली उससे ज्यादा विकासनंद आश्रम से मिली है। मालूम हो कि इसी स्थान एक आश्रम स्थित जिसे विकासानंद के नाम से जाना है। परंतु इस पावन भूमि स्थापित आश्रम की गतिविधियां ठीक नहीं थी और कुछ साल पहले आश्रम का संचालन करने वाले विकासानंद महाराज को अनैतिक गतिविधियों में लिप्त होने पर पुलिस ने रंगेहाथ गिरफ्तार किया था। इस कांड के बाद से प्रदेश नहीं पूरे देश में इस स्थान को अलग पहचान मिली। हालांकि अब आश्रम को प्रशासन संभाल रहा है परंतु आज भी आश्रम में जाने से लोग डरते हैं।