देश

भाजपा की जिलाध्यक्षी पाने सक्रिय हुए ओबीसी नेता

संगठन चुनाव : अब तक पिछड़े वर्ग के किसी नेता को जिले में नहीं सौंपी गई पार्टी की कमान

WhatsApp Icon
Join Yashbharat App

कटनी। भारतीय जनता पार्टी में जिलाध्यक्ष के दावेदारों ने नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। पार्टी ने इस पद पर अब तक ओबीसी के किसी नेता को मौका नहीं दिया है, इसलिए आलाकमान तक यह बात पहुंचाई जा रही है कि इस बार पिछड़े वर्ग का जिलाध्यक्ष बनाया जाए। इस संभावना पर ओबीसी से ताल्लुक रखने वाले कई नाम सक्रिय हो गए हैं, जिनमें युवा चेहरे भी शामिल है। सूत्र बताते हैं कि पार्टी ने मंडल और जिलाध्यक्षों के लिए उम्र का क्राइटेरिया भी तय कर दिया है, इस स्थिति में कुछ नाम तो स्वतः ही दौड़ से बाहर होते दिख रहे है। वैसे ओबीसी कार्ड चलने में भी संदेह है, क्योंकि पार्टी में बड़े नेता के तौर पर क्षेत्रीय विधायक संदीप जायसवाल पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, ऐसे में जिलाध्यक्ष का पद सामान्य वर्ग के नेता के खाते में बने रहने के आसार ज्यादा हैं।

भाजपा में प्रदेश से लेकर केंद्र तक पिछड़े वर्ग को साधने के लिए अनेक प्रयोग किए जाते रहे हैं। नगरीय निकायों में तो सीधे तौर पर पिछड़े वर्ग के लिए सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है, जबकि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी भाजपा पिछड़े वर्ग को साधने के लिए बड़ी संख्या में इस वर्ग के नेताओं को टिकट से नवाजती रही है। संगठन में पदों को लेकर भी उसका इस वर्ग पर खास ध्यान है। फ्रंटल आर्गनाइजेशन के साथ पिछड़ा वर्ग मोर्चे को भी पार्टी के भीतर खासी अहमियत दी जाती है, लेकिन कटनी जिले की बात करें तो यहां आज तक ओबीसी के किसी नेता को जिलाध्यक्ष की कमान नहीं सौंपी गई। इस बार इस वर्ग के नेताओं ने आलाकमान तक अपनी बात पहुंचाई है।

ओबीसी के ये चेहरे सक्रिय

सूत्रों के मुताबिक पार्टी यहां पिछड़े वर्ग के किसी नेता को जिलाध्यक्ष बनाने का निर्णय लेती है तो यहां अनुभवी और युवा चेहरों का समन्वय है। सालों से ये लोग पार्टी के लिए समर्पण के साथ काम कर रहे हैं। इस वर्ग के सीनियर नेताओं ने पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष का दायित्व देख रहे सुरेश सोनी का नाम भाजपा जिलाध्यक्ष की दौड़ में शामिल हैं। पार्टी द्वारा समय समय पर सौंपे गए दायित्वों को उन्होंने पूरी लगन के साथ निभाया है। इस वर्ग से एक और मजबूत नाम जिला पंचायत के उपाध्यक्ष अशोक विश्वकर्मा का है। वे दूसरी बार चुनाव जीतकर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष बने तथा पार्टी ने कटनी में उन्हें पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी भी सौंपी, जिसे वे सक्रियता के साथ निभा रहे हैं। संगठन के कामकाज को लेकर वे कभी पीछे नहीं हटे। इस कतार में एक और युवा दावेदार हैं अभिषेक ताम्रकार। वर्तमान में अभिषेक मुड़वारा मंडल के अध्यक्ष का दायित्व देख रहे हैं। लंबे समय से पार्टी में रहकर विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया है। वे स्वयं भी पार्षद रहकर जनता से जुड़े रहे और उनकी पत्नी भी पार्षद रह चुकी हैं। अनेक चुनावों में वे प्रचार अभियान की कमान संभाल चुके हैं। इन नामों के साथ इस वर्ग से कुछ और चेहरे भी जिलाध्यक्ष को लेकर अपनी संभावनाएं टटोल रहे हैं।

सामान्य वर्ग से ये कतार में

पार्टी के पास सामान्य वर्ग से अनेक चेहरे हैं, जो जिलाध्यक्ष बनने की काबिलियत रखते हैं। पुराने नामों के साथ पार्टी के पूर्व जिला महामंत्री कैलाश जैन, पूर्व जिला महामंत्री आशीष गुप्ता और वर्तमान जिला महामंत्री सुनील उपाध्याय के नाम शामिल है। परंपरागत नामों से हटकर यदि दूसरे विकल्पों पर विचार किया गया तो इनमें से किसी को मौका मिल सकता है। कैलाश जैन दो बार जिले के महामंत्री रहने के साथ नगर अध्यक्ष का दायित्व भी देख चुके है। इसके अलावा व्यापारी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष के रूप में भी उन्होंने बेहतर काम किया। अनेक पदों पर अपने अनुभव का लाभ पार्टी को दिलाने के साथ वर्तमान में वे संगठन चुनाव की प्रक्रिया में रीठी और बिलहरी मंडल के प्रभारी हैं। जिलाध्यक्ष की दौड़ के मजबूत दावेदार आशीष गुप्ता भी जिला महामंत्री के रूप में सक्रिय रहने के बाद अनेक पदों की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। पार्टी ने इन्हें कई अभियानों का प्रभारी भी बनाया। अनुभवी और साफ छवि के नेता के रूप में पार्टी के भीतर इनकी पहचान है। वर्तमान जिला महामंत्री सुनील उपाध्याय भी जिलाध्यक्ष पद के प्रबल दावेदारों में से एक हैं। युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष के रूप में उन्होंने सक्रियता से काम करते हुए पार्टी में अपनी पहचान बनाई और इसके बाद जिला उपाध्यक्ष का दायित्व भी देखा। वर्तमान में जिला महामंत्री के रूप में सक्रिय रहने के साथ सदस्यता प्रभारी की भूमिका का निर्वहन भी उन्होंने बेहतर ढंग से किया।

ये सीनियर नेता, इनमें से हो सकता कोई जिलाध्यक्ष

अनुभवी और सीनियर नेताओं की बात करें तो दौड़ में पूर्व जिलाध्यक्ष और केडीए के पूर्व अध्यक्ष पीतांबर टोपनानी, पूर्व महापौर और रीवा जिले के संगठन प्रभारी शशांक श्रीवास्तव, वरिष्ठ भाजपा नेता अश्वनी गौतम तथा वर्तमान जिलाध्यक्ष दीपक सोनी टंडन के नाम शामिल हैं। सूत्र बता रहे हैं कि प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा दीपक टंडन को एक और पारी खेलने देने का मौका दे सकते हैं। लेकिन यदि बदलाव का दबाव आया तो पीतांबर टोपनानी और शशांक श्रीवास्तव का विकल्प भी उनके सामने मौजूद हैं। ये दोनों नाम भी वीडी की पसंद हो सकते हैं। अगर किसी नाम पर विधायकों के साथ सहमति नहीं बन पाई तो अचानक से अश्वनी गौतम के नाम को आगे कर सहमति बनाई जा सकती है।

उम्र का क्राइटेरिया

सूत्रों के मुताबिक 20 से 25 नवंबर तक बूथ समितियों के चुनाव की प्रकिया पूरी हो जाएगी। इसके बाद जिले के सभी 23 मंडलों में अध्यक्ष चुन लिए जाएंगे। मंडल अध्यक्षों के बाद दिसंबर मध्य तक कटनी को नया पार्टी मुखिया मिल सकता है। इस बार पार्टी ने पूरी तरह से युवाओं के हाथों में कमान देने का मन बना लिया है। मंडल अध्यक्ष के लिए 30 से 35 वर्ष की आयु निर्धारित कर दी है है, जबकि जिलाध्यक्ष के लिए 40 से 50 वर्ष की आयु के नेताओं को अवसर दिया जाएगा। पार्टी फ्रंटल आर्गनाइजेशन में युवाओं को ज्यादा मौके देगी जबकि प्रकोष्ठों और मोर्चों में अनुभवी नेताओं को एडजस्ट किया जायेगा। यह गाइडलाइन बन चुकी है।

Screenshot 20241118 135045 Drive2 IMG 20240902 134309 1

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button