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प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन रिपोर्ट : भोपाल वन विहार ने मारी बाजी, कान्हा के फेन अभयारण्य को प्राप्त हुआ प्रदेश में दूसरा स्थान

मंडलाl जिले में स्थित फेन वन्यजीव अभयारण्य ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन (MEE) रिपोर्ट में मध्य प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल कर बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। अभयारण्य ने 85.16% अंकों के साथ ‘बहुत अच्छी’ श्रेणी में जगह बनाई है। इस सूची में वन विहार, भोपाल 88.33% अंकों के साथ पहले स्थान पर रहा। यह सम्मान फेन वन्यजीव अभयारण्य को जैव विविधता संरक्षण में उत्कृष्ट प्रदर्शन, पर्यटन में स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी, स्वच्छ प्रबंधन प्रथाओं और नवाचार प्रयोगों के लिए प्रदान किया गया है। कान्हा टाइगर रिजर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा, फेन वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना 1983 में हुई थी और यह 110.74 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह अभयारण्य बाघ, तेंदुआ, सियार, भालू, गौर, चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर सहित कई स्तनधारियों और पक्षियों की विविध प्रजातियों का घर है। फेन नदी इस क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण जलधारा है, जो वन्यजीवों के लिए जीवन रेखा का काम करती है।
अभयारण्य से एक महत्वपूर्ण वन्यप्राणी कॉरिडोर भी गुजरता है, जो कान्हा टाइगर रिजर्व को अचानकमार टाइगर रिजर्व से जोड़ता है, जिससे वन्यजीवों के निर्बाध आवागमन में मदद मिलती है। फेन अभयारण्य न केवल वन्यजीव संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है, बल्कि पर्यावरणीय शिक्षा और सतत इको-पर्यटन को बढ़ावा देने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। यह उपलब्धि अभयारण्य के कर्मचारियों और प्रबंधन द्वारा किए गए अथक प्रयासों का परिणाम है।







