नोटिस की मियाद पूरी, अब सडक़ निर्माण में बाधक बने कब्जों को हटाने की तैयारी, 132 भवन मालिकों को नोटिस जारी कर नगर निगम ने दिया था आखिरी मौका
कटनी, यशभारत। जगन्नाथ चौक से घंटाघर मार्ग के चौड़ीकरण में बाधक बने 132 भवन मालिकों को नगर निगम द्वारा जारी किए गए नोटिस की मियाद पूरी हो चुकी है। नोटिस जारी करने के साथ ही नगर निगम प्रशासन ने कहा था कि निगम की ओर से भूस्वामियों को यह आखिरी मौका दिया जा रहा है, इसके बाद सडक़ निर्माण को लेकर आने वाली बाधाओं को हटाने की दिशा में नगर निगम का अमला सक्रिय हो जाएगा। नगर निगम के सूत्र बताते हैं कि नोटिस की समय सीमा निकलने के बाद नगर निगम प्रशासन सडक़ निर्माण में बाधक बने कब्जों को हटाने की तैयारी कर रहा है। संभवत: अगले एक-दो दिन में नगर निगम प्रशासन इसको लेकर एक्टिव नजर आएगा। नगर निगम आयुक्त नीलेश दुबे ने यशभारत को बताया कि जिन्हें नोटिस जारी किए गए थे, उनके द्वारा यदि आपत्ति लगाई गई है तो उनका परीक्षण किया जा रहा है। सभी के दस्तावेज चैक करने के बाद एक्शन शुरू हो जाएगा।
गौरतलब है कि कई भवन स्वामियों ने सडक़ की चौड़ाई में उनके भवन का अगला हिस्सा आने को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी। नगर निगम ने इनके दस्तावेज मांगे थे, लेकिन बड़ी संख्या में भवन स्वामियों ने मकान के स्वामित्व से जुड़े दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए थे। नगर निगम सूत्रों की मानें तो लोगों द्वारा जमा किए गए स्वामित्व संबंधी दस्तावेजों की जांच की जा रही है। इस मामले में 11 लोगों ने अलग-अलग प्रकार की आपत्तियां भी लगाई हैं, उनकी भी जांच की जाएगी व जवाब-दावा तैयार किया जाएगा। इसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू हो पाएगी।
लंबे समय से लटका है सडक़ का निर्माण
चांडक चौक से घंटाघर की इस सडक़ का मसला लंबे समय से लटका हुआ है। सडक़ की चौड़ाई 12 मीटर निर्धारित की गई है, ऐसी स्थिति में इस सडक़ पर 132 ऐसे भवन चिन्हित किए गए है, जो सडक़ की चौड़ाई में बाधक बन रहे हैं। मार्च के महीने में अनुविभागीय अधिकारी प्रदीप मिश्रा के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया था, जिसने सर्वे के बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर सभी 132 भू और भवन स्वामियों को प्रथम सूचना पत्र जारी करते हुए जानकारी दे दी गई थी कि उनके मकान सडक़ की जद में आ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक 72 भवन स्वामियों ने लिखित में अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी, उसके बाद नगर निगम ने सभी से स्वामित्व के दस्तावेज, खसरा नक्शा आदि मांगा था, ताकि क्षतिपूर्ति की राशि का आंकलन किया जा सके। सूत्रों का कहना है कि अब तक दर्जनों भवन मालिकों ने मकान से संबंधित अपने कागजात प्रस्तुत नहीं किए है, जिससे सडक़ निर्माण की स्थिति में होने वाली क्षति का आंकलन नहीं हो पा रहा। जाहिर है जब तक मुआवजा राशि का आंकलन नहीं हो पाएगा, तब तक तोडफ़ोड़ की प्रकिया शुरू नहीं हो पाएगी और सडक़ का काम भी लटका रहेगा।