नर्मदा के तट तपोभूमि हैं, सातों कल्प में समुद्र, सरिता, पर्वत नष्ट हो जाएंगे …नर्मदा जी साक्षात रहेगीं : गजानन महाराज सेवा समिति ने वितरित की महाप्रसादी, कन्या पूजन से हुआ भंडारे से शुभारंभ

करेली यशभारत। माँ नर्मदा के हर घाट का विशेष महत्व है। नर्मदा के तट रूद्रभूमि हैं। यहां का कंकड- कंकड शंकर है। नर्मदा मैया अमृत रूप में प्रवाहमान हैं। यह जल नहीं है, यह अमृत है। दर्शन करने मात्र से ही कल्याण करने वाली केवल नर्मदा मां हैं। जिस पर मैया कृपा करती है, उस पर संपूर्ण लौकिक अलौकिक जगत कृपा करने आतुर हो जाता है। श्री संत गजानन महाराज सेवा समिति टीम नागपुर की ओर से माई नर्मदा के पावन उत्तर तट जोगी टिकरिया प्रति माई नर्मदा के जन्मोत्सव के उपलक्ष में भव्य महाप्रसाद प्रतिवर्ष अनुसार किया गया है।
जिसमें महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों से एवं मध्य प्रदेश के विविध क्षेत्र से सेवाधारी आकार अपनी सेवाएँ देते हैं करीब 10000 लोग यहां प्रति वर्ष महाप्रसाद ग्रहण करते हैं, इस वर्ष भी माई की कृपा से गजानन महाराज की कृपा से महाप्रसाद का दिव्य आयोजन हुआ आरती आयोजित की गई माई के जन्मोत्सव पर हजारों लोगों की भीड़ जो कि टिकरिया में आती है यहां प्रति अनवरत महाप्रसाद भंडारे का योजना बनाई जाती है जिसमें डिंडोरी जिला तहसील क्षेत्र से बहुत गांव से यहां पर लोग प्रसाद के लिए पदारथ एवं प्रसाद पाकर माई की कृपा की धन्यता का अनुभव करते हैं। सुबह 9.30 बजे नर्मदा माई का अभिषेक, पूजन आरती के पश्चात कन्या पूजन, कन्या भोज करके भंडारे का शुभारंभ हुआ जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने अति आनंद के साथ भाग लिया। नर्मदा जी वरदानी हैं, योगेश्वर भगवान देवाधिदेव शिव से प्रगट हुई हैं और उनसे वरदान मांगा कि मेरे दोनों तटों में आपका निवास होना चाहिए। नर्मदा के तट तपोभूमि हैं। सातों कल्प में समुद्र, सरिता, नदियां, पर्वत आदि सभी नष्ट हो जाएंगे परंतु नर्मदा जी साक्षात रहेगी।
कलयुग के बढ़ते प्रभाव के साथ माँ नर्मदा के प्रति आस्था बढ़ती जा रही है नर्मदा मैया करुणा सागर हैं। नर्मदा तटों की विशेषता है कि नर्मदा के तटों में सूक्ष्म जगत जगह-जगह विद्यमान हैं। उसमें भी समूह के समूह विधमान हैं। नर्मदा तट में गंधर्व, देव, असुर शक्तियां भी सिद्ध बनकर बैठी है। जो सिद्धलीला के आनंद में सिद्धारूढ़ हैं। भू-वैज्ञानिक कहते हैं कि नर्मदा तट के नीचे खाली स्थान है। वह खाली स्थान नहीं है, वहां सिद्धजन विराजमान हैं।
मैया नर्मदा का अर्थ, सुख और आनंद देने वाली परमात्मा स्वरुप, अलौकिक, अद्भुत, अगम्य कृपा बरसाने वाली कलयुग और कल्पांत तक रहने वाली हैं। नर्मदा मैया, मां गंगा नदी से भी प्राचीन और श्रेष्ठ महानदी मानी गई है, जो केवल दर्शन मात्र से ही भक्तजनों के पाप कर्मों का क्षय करके पुण्य अर्जित करती हैं। वे अपने भक्तों का संतानों की तरह पालन-पोषण करती हैं। मां रेवा सभी की है, अनुभूति सभी को हो सकती है, केवल साधना और तप करने की जरूरत है।