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दलबदल का बड़ा रिकार्ड :  6 अप्रैल को 1 लाख कांग्रेसी ज्वाइन करेंगे बीजेपी…!

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भोपाल। मध्यप्रदेश भाजपा दलबदल का बड़ा रिकार्ड बनाने का ताना-बाना बुन चुकी है। भाजपा के स्थापना दिवस 6 अप्रैल को एक लाख या उसके पार कांग्रेसियों को बीजेपी ज्वाइन कराने की तैयारी की जा रही है।

 

मध्यप्रदेश भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार बीजेपी की राज्य इकाई दलबदल कराने का एक ऐसा रिकार्ड बना लेना चाहती है, जो नजीर बन जाये।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबकि बार 400 पार का नारा दिया है। भाजपा अपने दम पर 370 अथवा उसके पार का रणभेरी भी मोदी ने बजा रखी है। पीएम ने भाजपा कार्यकर्ताओं को यह भी लक्ष्य दिया हुआ है कि हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाना है।

 

केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह मप्र में इस बार सभी 29 लोकसभा सीटें चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने टारगेट दिया हुआ है।

 

प्रधानमंत्री और केन्द्रीय गृह मंत्री की मंशा के अनुरूप देश भर में भाजपा 400 पार के लक्ष्य को पाने की जुगतबाजी में जुटी हुई है।

 

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले दौर की वोटिंग 19 अप्रैल को होगी। आखिरी चरण में एक जून को वोट पड़ेंगे। चुनाव के नतीजे 4 जून को आने हैं।

 

मध्यप्रदेश में कुल 4 चरणों में वोटिंग होना है। पहले चरण में जिन 6 सीटों पर मतदान होना है, उसमें भाजपा के मुख्य लक्ष्य वाली छिन्दवाड़ा सीट भी शामिल है।

 

छिन्दवाड़ा पर भाजपा जमकर फोकस किए हुए है। बता दें, राज्य की कुल 29 सीटों में साल 2014 के चुनाव में भाजपा ने 27 सीटें जीतीं थीं। दो सीटें छिन्दवाड़ा और गुना उसे नहीं मिल सकी थी।

 

वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा, सूबे की कुल 29 में 28 लोकसभा सीटें हासिल करने में सफल रही थी। मगर 2019 में भी छिन्दवाड़ा उसके हाथों में नहीं आ सकी थी। इतना भर रहा था कि गुना-शिवपुरी सीट पर कद्दवार चेहरे ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा ने हरा दिया था।

 

ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी का चुनाव इस बार भाजपा के टिकिट पर लड़ रहे हैं। अब कांग्रेस के सामने 2019 दोहराने (सिंधिया को हराने) की बड़ी चुनौती है। कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल सके, इसे भी पार्टी को न केवल रोकना है, बल्कि सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए भी हाथ-पैर मारना पड़ रहे हैं।

 

कांग्रेस दावा कर रही है कि इस बार हालात बदलने में वह सफल रहेगी, लेकिन पार्टी में तोड़फोड़ का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी जैसे नेता भाजपा का दामन थाम चुके हैं।

 

भाजपा दावा कर रही है कि 6 अप्रैल को मतदान केन्द्र स्तर तक कांग्रेसियों को भाजपा ज्वाइन करायी जायेगी। भाजपा के इस दावे ने निश्चित तौर पर कांग्रेस के हाथ-पैर फुलाये हुए हैं। असल में कांग्रेस के पास वैसे ही कार्यकर्ताओं का टोटा है। यदि इतने बड़े पैमाने पर (एक लाख कांग्रेसी) टूटन होती है तो बूथ पर बैठाने वाले लोग नहीं मिलेंगे।

 

कांग्रेस में बिखराव और कमियों का आलम यह है कि 28 सीटों में (एक सीट खजुराहो सपा को दी है) से 3 ग्वालियर, मुरैन और खरगोन में कांग्रेस अभी अपना प्रत्याशी भी घोषित नहीं कर पायी है।

 

कुल मिलाकर कांग्रेस के सामने संकट बढ़ा है। कांग्रेस ज्यादा संकट में जरूर है, लेकिन भाजपाई बड़े पैमाने पर कांग्रेसियों के पार्टी ज्वाइन करने से नाखुश हैं।

 

भाजपा के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘कांग्रेसमुक्त भारत का नारा, कांग्रेसयुक्त भाजपा में बदल गया है। भारतीय जनता पार्टी अब भारतीय कांग्रेस पार्टी हो चली है। मोदी-शाह कांग्रेस पार्टी।’

 

भाजपाइयों का दर्द या मर्म वही है जो 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के सहयोगियों के साथ बीजेपी में आने के बाद हुआ है। गुना-शिवपुरी में उस सांसद का टिकिट बीजेपी ने काट दिया जो कांग्रेस छोड़कर आये थे और सिंधिया को भाजपा की टिकिट पर गुना में पटखनी दी थी।

 

कई विधायक आये और टिकिट पा गए तो जिन्दगी भर उन्हीं से लड़ने वाले भाजपा के नेता एवं कार्यकर्ताओं की जीम-जमायी राजनीति खत्म हो गई।

 

अनेक जिलों में दो-दो भाजपा हो गईं। एक असली भाजपा और दूसरी ‘हाथ छाप भाजपा।’ कमल के फूल के लिए किला लड़ाने वाले ठांठी भाजपाइयों को अब ‘हाथ छाप’ भाजपाइयों के लिए वोट मांगने पड़ रहे हैं।

 

अपने काम और अधिकारों के लिए ऐसे ‘हाथ छाप’ भाजपाइयों के हाथ जोड़ने पड़ रहे हैं, जिनसे कभी वे लड़ा करते थे।

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