खुलासा :सड़कों पर लहू लुहान हो रहा गौवंश: जिम्मेदारों को नहीं परवाह

तेंदूखेड़ा यशभारत। आवारा मवेशियों की समस्या से निजात दिलाने के साथ-साथ गौ सुरक्षा और संरक्षण की दिशा में शासन के द्वारा प्रत्येक विकासख्ंाड की बड़ी ग्राम पंचायतों में जिस उद्देश्य की पूर्ति को लेकर लाखों रुपये खर्च करके गौ शालायें खोली गई थी, उस उद्देश्य की पूर्ति न हो पाने के साथ-साथ आदेशों की हवाहवाई और संदेशखेती के चक्कर में गौ शालायें केवल दिखावा ही साबित हो रही है। इन गौशालाओं की यह स्थिति है कि न तो इनमें चारा है न भूसा है और न ही इन मवेशियों को बांधने छोडऩे की उचित व्यवस्था, कभी राशि की कमी की किल्लत तो कभी चारा भूसा उपलब्ध न हो पाना, तो फिर पानी की व्यवस्था न होना, स्वसहायता समूहों को समय पर उनका मानदेय भुगतान न होना जैसी अनेंको विसंगतियों की भेंट चढ़ी इन गौशालाओं को खुल जाने के बाबजूद भी सैंकड़ों गौ मातायें प्रतिदिन कालकल्बित होकर मुख्य सड़क मार्गों को अपने लहु से रंगती दिखाई दे रही है। निश्चित तौर पर इनके संरक्षण और सुरक्षा की दिशा में सामूहिक प्रयासों की महती आवश्यकता है। केवल दिखावे से काम नहीं चलेगा, बल्कि स्वयं की जबाबदेही मानकर यदि समय रहते इनका संरक्षण नहीं किया गया तो आवारा मवेशियों की नामधारी उक्त गायें कसाईयों के माध्यम से कत्लखानों मेें कटकर एक विलुप्त प्राणी की तरह केवल चित्रों तक सीमित रह जायेगी। तहसील मुख्यालय तेंदूखेड़ा में भी यह एक बड़ी समस्या है जहां हर एक पखबाड़े में दर्जनों मवेशी सड़कों पर भारी वाहनों से रौंदे हुये देखे सुने जाते है या फिर बर्बरता और बेरहमीपूर्वक ठूंसठूंसकर वाहनों में भरकर रातों रात कत्लखाने भरकर ले जाते है।
विगत वर्ष तेंदूखेड़ा पहुंचे तत्कालीन पशुपालन मंत्री जी को तेंदूखेड़ा क्षेत्र की मवेशियों की स्थिति और पशु चिकित्सा को लेकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया था। निश्चित तौर पर हालातों को देखते हुये दोनों समस्याओं का निराकरण होना निहायत जरूरी है। वहीं तहसील मुख्यालय से जुड़े हुये ऊमरपानी ग्राम पंचायत केे अंतर्गत दाने बाबा की पहाड़ी की भौगोलिक स्थिति एवं अनुकूलता को देखते हुये यहां पर एक छोटा गौ अभ्यारण बनाये जाने की दिशा में वे सभी आवश्यक अनुकूूलतायें है, कम खर्चे में कुछ ज्यादा व्यवस्थायें यहां पर सुलभ हो सकती है।
लेकिन केवल प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर आश्रित न रहकर लोग स्वयं का दायित्व समझकर समर्पण और सेवाभाव से सामूहिक रूप से आगे आते है तो निश्चित तौर पर बहुत कुछ स्थिति सुधरने के साथ-साथ सुखद परिणाम भी सामने देखने को मिलेगें। मवेशियों की सुरक्षा संरक्षण के साथ-साथ बेरोजगार रोजगार से भी जुड़ सकेगें और इस पहाड़ी का जिस तरह से दोहन किया जा रहा है अपरिचित यहां पहुंचकर पशु पक्षियों जीव जन्तुओं का शिकार करने के साथ-साथ दिनों दिन वृक्ष का रूप ले रहे हरे भरे वृक्षों का कटना भी बंद हो जायेगा। चूंकि यह भूमि राजस्व विभाग के अंतर्गत आती है।