उमरियापान में देवीय शक्ति से रातोंरात बना बड़ी माई का मंदिर, सदियों से आस्था का केंद्र बना कल्चुरी कालीन प्राचीन मंदिर

कटनी, यशभारत। शहर के साथ ही ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में ऐसे देवी मंदिर है, जिनका इतिहास एक सदी से भी पुराना रहा है। शक्ति की आराध्य मां भवानी के इन देवालयों की महिमा अपरम्परार है। ऐसे ही एक शक्तिपीठ से यशभारत आज आपको परिचित करा रहा है, जिसका इतिहास कई सालों पुराना है। जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर उमरियापान में जब कल्चुरी राजाओं का साम्राज्य था, उस समय बड़ी माई मंदिर दैवीय शक्ति से एक ही रात में बनकर तैयार हुआ था। सुबह जब लोग सोकर उठे तो उन्हें एक विशाल मंदिर बना हुआ मिला। रातोंरात मंदिर के निर्माण से लोग आश्चर्य में पड़ गए हैं। मंदिर का निर्माण कब और कैसे हुआ, इसे किसी ने नहीं देखा। मंदिर में प्राचीनतम समय के पुराने पत्थर और शिलालेख भी अंकित है। मंदिर में रोजाना बड़ी तादात में देवीभक्तों का तांता लगा रहता है।
पूर्वजों और गांव के बुजुग बताते हैं कि दैवीय शक्ति से रातों-रात बड़ी माई मंदिर बनकर तैयार हुआ था। पहले मंदिर के आसपास बहुत ही घनी झाडिय़ां रही और जंगली जानवरों का भी आना जाना लगा रहता था। जिसके चलते लोगों को मंदिर तक पहुंचने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। कई दशकों के बाद श्रद्धालुओं ने धीरे-धीरे मंदिर का निर्माण कार्य कराया। बड़ी माई का मंदिर सदियों से लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। देवीभक्त पुष्पलता दुबे, तृप्ति दुबे, अनामिका दुबे, शालिनी मिश्रा ने बताया कि माता के दरबार में हाजिरी लगाने वाले भक्तों का साल भर आगमन लगा रहता है। नवरात्रि के दिनों में तो भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। क्षेत्र के कल्याण , सुख, शांति व समृद्धि के लिए मंदिर में यज्ञ व धार्मिक अनुष्ठान भी भक्त कराया जाता है। जवारे बोये जाते हैं। सुरेश त्रिपाठी, विभाष दुबे, सचिन दुबे, डॉ विन्धेश दुबे, पीताम्बर शुक्ला ने बताया कि नवरात्रि के 9 दिन पूरे होने पर गांव में धूमधाम से जवारे का विसर्जन होता है। क्षेत्र व आसपास के क्षेत्रीय लोगों द्वारा माता को अठवाई का भोग लगाकर कन्या भोजन सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठान कर आस्था के साथ बड़ी माई की पूजा करते हैं। मान्यता है कि बड़ी माई मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से मन्नत के साथ हाजरी लगाकर मन्नत मांगता है। मातारानी उनकी मनोकामना पूरी करती हैं।







