इंटरनेट मीडिया के जरिये कैसे वायरल हो रहे हाई कोर्ट की कार्रवाई के अनधिकृत वीडियो
जबलपुर,। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की कार्रवाई के सीधे प्रसारण के वीडियो रिकार्ड कर फेसबुक, इंस्टाग्राम, वाट्सएप, ट्विटर व यू ट्यूब पर अनधिकृत रूप से चलाए जाने को जनहित याचिका के जरिये चुनौती दी गई। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने इस मामले में हाई कोर्ट को भी आवश्यक पक्षकार बनाने के निर्देश दिए हैं। जनहित याचिकाकर्ता की ओर से इस सम्बंध में आवेदन दे दिया गया है। अगली सुनवाई 19 सितंबर निर्धारित की गई है।
जनहित याचिकाकर्ता इंदौर निवासी अधिवक्ता डा. अमन शर्मा की ओर से अधिवक्ता अभिनव धानोदकर ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि हाई कोर्ट ने बीते वर्ष अपनी कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग आरम्भ की है। यूट्यूब के जरिए इसका प्रसारण किया जा रहा है। इसके लिए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट लाइव स्ट्रीमिंग रूल्स 2021 बनाए गए। वहीं, सुप्रीम कोर्ट का त्रिपाठी के मामले में दिया गया दिशा-निर्देश भी इसके लिए ही है। इन नियमों और सुको के न्याय दृष्टांत के तहत लाइव स्ट्रीमिंग के लिए वीडियो रिकार्डिंग व प्रसारण का अधिकार हाई कोर्ट को है, लेकिन कुछ लोग व संस्थान हाईकोर्ट की कार्रवाई की यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीमिंग की वीडियो रिकार्डिंग कर रहे हैं।
इन रिकार्डेड वीडियो को मनचाहे तरीके से एडिट कर फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, व्हाट्सएप, यूट्यूब पर चलाया जा रहा है। इससे हाई कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंच रही है। याचिका में राहत चाही गई कि हाई कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग की इस तरह अनधिकृत वीडियो रिकार्डिंग पर रोक लगाई जाए। इन वीडियो को इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर प्रतिबंधित किया जाए। मंगलवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि याचिका में हाई कोर्ट को आवश्यक पक्षकार नहीं बनाया गया, इसलिए हाई कोर्ट को भी पक्षकार बनाने के निर्देश दिए गए।