जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

आरडीयू का 34 वां दीक्षांत समारोह: दोनों पैर से विकलांग शैतान सिंह को मिली राजनीति शास्त्र में उपाधि

स्वर्ण पदक- 82 पर 51 विद्यार्थियों को मिलें
शोध उपाधि- 204
डीलिट- एक

जबलपुर, यशभारत। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय का 34वां दीक्षा समारोह पं.कुंजीलाल दुबे प्रेक्षागृह में शुरू हुआ। मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव अभ्यार्थियों को शोध उपाधि और स्वर्ण पदक का वितरण करने के लिए पहुंचे। राज्यपाल मंगुभाई पटैल तय कार्यक्रम में आनलाइन वर्चुअली जुड़े।
दोनो पैर से दिव्यांग कटनी निवासी शैतान सिंह भी शोध उपाधि लेने आए है। इन्हें राजनीतिशास्त्र विषय में शोधकार्य के लिए उपाधि दी गई। दिव्यांग होने की वजह से शैतान सिंह को व्हीलचेयर पर मंच के पीछे से विशेष रूप से ले जाया गया।

अंकित पटेल और खुशबू कौरव को छह-छह स्वर्ण पदक मिले
दीक्षा समारोह में अंकित पटेल और खुशबू कौरव को छह-छह स्वर्ण पदक मिले । अंकित जहां सिविल सर्विस में जाना चाहते हैं, वहीं खुशबू कौरव को शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान कायम कर रही है। डीएन जैन कालेज के बीएससी के विद्यार्थी अंकित पटेल को छह गोल्ड मिल रहा है। अंकित ने बताया वह सिविल सर्विस की तैयारी कर रहा है। अंकित के मुताबिक शिक्षकों के सहयोग यह सफलता हासिल की। अंकित भारतीय डाक विभाग में डाकपाल के पद पर है। अंकित ने कहा कि शिक्षक खुशबू विश्नोई और संतोष चौरसिया उसे गणित विषय में बहुत सहयोग दिया। जिस वजह से ये सफलता मिली।
एमएससी जूलाजी में खुशबू कौरव को छह गोल्ड मिले है। वे महाराणा प्रताप पीजी कालेज गाडरवारा की छात्रा रही है। खुशबू ने बताया कि उन्हें आगे पीएचडी करनी है और शिक्षा के क्षेत्र में नया मुकाम बनाना है। छह गोल्ड पाने को लेकर खुशबू उत्साहित है। उनके अनुसार में पहले शिक्षक थी अब शोध पूरा करने के लिए शिक्षण कार्य करना चाहती है।

पत्नी के मरणोपरांत पति को उपाधि
संजीव उपाध्याय एडवोकेट अपनी पत्नी आराधना उपाध्याय 51 साल के देहांत के पश्चात खुद शोध उपाधि लेने आए। आराधना की एजुकेशन में उपाधि मिल रही है। पहली बार प्रशासन ने उन्हें सम्मान लेने की अनुमति ली है। पिछले माह 17 नवंबर 2022 को आराधना की ब्रेन हेमरेज की वजह से मौत हुई थी। पति संजीव ने बताया की आराधना की ख्वाहिश थी की दीक्षा समारोह में उन्हें उपाधि मिले। आराधना इससे पहले वनस्पति शास्त्र 1998 में शोध उपाधि ले चुकी है।

शिक्षण संस्थान एवं विश्वविद्यालय समाज की बौद्धिक संपदा के संवाहक होते: उच्च शिक्षा मंत्री
शिक्षण संस्थान एवं विश्वविद्यालय समाज की बौद्धिक संपदा के संवाहक होते हैं। यही से समाज की श्रेष्ठता एवं उर्जा निर्मित होती है। यहां से सुशिक्षित होने वाले विद्यार्थी अपने ज्ञान से समाज को न केवल दिशा प्रदान करते हैं अपितु नैतिक मूल्यों से उसको नियंत्रित करने की भी क्षमता रखते हैं। हमारा देश प्राचीनकाल से ही आध्यात्मिक ज्ञान एवं दर्शन का गुरू रहा है। यहां पर विश्व के प्राचीनतम विश्वविद्यालय तक्षशिला एवं नालंदा प्रतिष्ठित थे और दुनियाभर से आने वाले विद्यार्थियों व जिज्ञासुओं को शिक्षा प्रदान करते थे। इस महान देश में आज भी यह परंपरा चली आ रही है। यहां के प्रतिभाशाली विद्यार्थी न केवल भारत में विविध क्षेत्रों में समाज की सेवा कर रहे हैं, अपितु विदेश में भी जाकर अपने ज्ञान और विज्ञान से देश को गौरवाविंत कर रहे हैं। उक्त विचार डॉ. मोहन यादव मंत्री उच्च शिक्षा ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (आरडीयू) के 34 वें दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्यअतिथि संबोधित करते हुए कहीं।

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