जबलपुरमध्य प्रदेश

विद्युत कंपनियाें में रिटायरमेंट के बाद भी बैक डोर एंट्री से बढा असंतोष : 50 से अधिक अभियंताओं ने छोड़ी नौकरी

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जबलपुर यश भारत। विद्युत मंडल यूं तो अपनी कार्यशैली को लेकर सुर्खियों में हमेशा बना रहता है ताजा मामला बैक डोर एंट्री का है जहां रिटायर हो चुके अधिकारियों को पुनः विभाग में मलाईदार पदों पर अस्थाई रूप से पदस्थ किया जा रहा है ताकि नौकरी जाने के बाद भी अधिकारियों की व्यवस्थाएं दुरुस्त रहें तो वही इन बैक डोर एंट्री से जूनियर अधिकारियों में असंतोष पनप रहा है जिसके चलते करीब 50 से अधिक अभियंता अभी तक नौकरी छोड़कर अन्य कंपनियों का रुख कर चुके हैं।

 

जानकारी अनुसार मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल अभियंता संघ ने पूरी जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के ऊर्जा विभाग की समस्त उत्तरवर्ती कम्पनियों में कार्यरत सहायक अभियंता से लेकर कार्यपालक निदेशक तक के अधिकारियों का एक मात्र संगठन हैं, जो कि प्रदेश कि विद्युत व्यवस्था को सुचारू रूप से अनवरत जारी रखने हेतु आवश्यकतानुसार प्रशासन के समक्ष अपने सुझाव रखता है एवं कम्पनियों के समस्त अधिकारियों कि समस्याओ और जायज माँगों के संबंध में समय-समय पर प्रशासन और प्रबंधन को अवगत कराकर, उसके सार्थक समाधान हेतु प्रयासरत रहता हैं।

 

मुख्यमंत्री को लिखे पत्रों के माध्यम से अभियंता संघ द्वारा मांग की जा रही है कि मध्य प्रदेश ऊर्जा विभाग की समस्त उत्तरवर्ती कम्पनियों में सेवानिवृत्त होने जा रहे अथवा हो चुके अधिकारियों को पुनः सेवा में नियुक्त ना किया जाए। शासन की मंशा के विपरीत विद्युत उत्पादन कंपनी के प्रबंधन द्वारा सेवानिवृत्त अधिकारियों को पुनः सेवा मे लेने के लिए प्रयास कर रही है जबकि कंपनी में कार्यरत 10 से 35 वर्ष तक का कार्यानुभव रखने वाले अनेक अभियंताओ को नवीन जिम्मेदारियां सौंपने के बजाय प्रबंधन सेवानिवृत्त अधिकारीयों को पुनः सेवा में नियुक्त कर रहा हैl

 

इंजी विकास कुमार शुक्ला , महासचिव अभियंता संघ ने बताया कि यह जूनियर अधिकारियों के लिए कुठाराघात है, साथ ही उन्हें कार्य में कभी भी उच्च पदों/ नवीन जिम्मेदारीयो में दक्ष नहीं होने देने का एक सोचा-समझा षड्यंत्र है।

 

उर्जा विभाग की उत्पादन कंपनी में सक्षम अभियंताओं को रिक्त पड़े पदों पदोन्नत / उच्च प्रभार देने ख़ास कर कार्यपालन अभियंता के रिक्त 100 पद (लगभग) एवं अधीक्षण अभियंता के रिक्त पद, निदेशक तकनीकी/वाणिज्य गत दो वर्षों से रिक्त पद), के विपरीत सेवनिवृत अधिकारियों की नियुक्त की जा रही है एवं प्रबंधन की इसी तरह लगातार उपेक्षा के कारण लगभग 50 से ज्यादा इंजीनियर नौकरी छोड़कर जा चुके हैं

 

रिटायरमेंट के बाद भी वही ठाट बाट

मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी में कुछ लोग तो 62/65 वर्ष आयु पूर्ण करने के उपरांत भी (सभी नियम कानूनों को दरकिनार कर) कई विशेषज्ञ / सलाहकार के रूप में कम्पनी में ना केवल इसी प्रकार से कार्य कर रहे है अपितु ठाट से पूर्व की ही भांति कार्यालय/बंगला/गाड़ी आदि सुविधाओं का उपभोग कर रहे हैं।

 

आज लगभग सभी कार्मिकों को ज्ञात है कि हाल ही में निकाली गयी EOI की प्रक्रिया सेवनिवृत चहेतों को पुनः कंपनी की सेवाओं में विशेषज्ञ के नाम पर लेने बनाई गयी है जबकि देश / प्रदेश के अन्य विभागों में कही भी 65 वर्ष से ऊपर के उम्र में नियुक्त नहीं की जाती है। प्रदेश के जिन नवीन पावर हाउस के निर्माण के लिए पूर्व में ही कंपनी ने कंसल्टेंट के रूप में देश की सर्वोच्च तापीय विद्युत उत्पादन कंपनी एनटीपीसी (विद्युत उत्पादन गृह निर्माण कि विशेषज्ञ) को मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड ने लगभग 150/- करोड़ रुपए देकर टेंडर बनाने से लेकर विद्युत गृह के संपूर्ण निर्माण तक के लिए नियुक्त किया हुआ है, उन्ही नए पावर हाउसों के निर्माण हेतु विशेषज्ञ सेवानिवृत्ति अधिकारियों की नियुक्ति के लिए भी प्रबंधन प्रयासरत है, जो गलत है।

यह है हाल

ज्ञात हो की वर्तमान में मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी में लगभग 15-20 सेवनिवृत अधिकारी सलाहकार/एक्सपर्ट के रूप में कार्य कर रहे है तथा हाल ही में 20 सेवनिवृत अधिकारियों की भर्ती के लिए भी विज्ञापन जारी किए गए नियुक्तियों के लिए प्रबंधन द्वारा संपूर्ण तथ्य सरकार के समक्ष नहीं रखे गए हैं एवं सरकार को अंधेरे में रखकर अनुमोदन लिया गया है एवं नियुक्तियां की जा रही है जो की जांच का विषय है।

रिक्त पदों पर अविलम्भ वरिष्टता के आधार पर उच्च प्रभार प्रदान किये जायें एवं निचले स्तर के रिक्त स्थानों पर तत्काल नवीन नियुक्तियां की जाएँ ताकि नवीन नियुक्तियों के माध्यम से प्रदेश के युवाओं को रोजगार प्राप्त हो सके एवं प्रदेश कि प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि के साथ ही प्रदेश का आर्थिक विकास हो सके ।

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