इंदौरग्वालियरजबलपुरभोपालमध्य प्रदेशराज्य

यशभारत खास…. जबलपुर को बड़ी सौगात…. एमपी का दूसरा सरकारी अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण केंद्र जबलपुर में शुरू होगा

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का आगमन सोमवार को, कर सकते है भूमिपूजन
मेडिकल कैंसर हॉस्पिटल में स्थापित होगा बोन मैरो ट्रांसप्लांट

जबलपुर, यशभारत। बोनमैरो ट्रांसप्लांट कराने के लिए अब दिल्ली, मुंबई या इंदौर शहर में नहीं जाना होगा। नेताजी सुभाषचंद्र मेडिकल अस्पताल में यह सुविधा जल्द ही शुरू होने वाली है। सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर मनसुख मांडविया का जबलपुर आगमन हो रहा है। स्वास्थ्य मंत्री इस दौरान इसकी घोषणा कर सकते हैं। संभवत: मेडिकल के कैंसर विभाग में बोन मैरो ट्रांसप्लांट स्थापित होगा। मालूम हो कि निजी अस्पतालों में ट्रांसप्लांट का खर्च करीब १२ लाख रुपये आता है जो जबलपुर में पांच लाख रुपये में या उससे कम में हो जाएगा। एमपी का दूसरा सरकारी अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण केंद्र जबलपुर में शुरू होगा इससे पहले यह सौगात इंदौर को प्राप्त हो चुकी है।

यह होती है ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया
— मरीज के भाई-बहन में किसी की स्टेम सेल लेकर मरीज की स्टेम सेल से जांच कराई जाती है। इसमें ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन (एचएलए) का मिलाना होना जरूरी है। यह एक प्रोटीन है।
— इसके बाद डोनर की बोनमैरो से स्टेम सेल सेप्रेटर मशीन से निकाली जाती हंै।
— मरीज को ट्रांसप्लांट करने के पहले कीमोथैेरेपी दी जाती है, जिससे नई कोशिकाएं नहीं बनें
-इसके बाद मरीज की वजन के लिहाज से स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की जाती है।

क्या हैं स्टेम सेल
इन्हें मातृ कोशिका भी कहा जाता है। श्वेत रक्त कोशिकाएं, लाल रक्त कोशिकाएं और प्लेटलेट्स इन्हीं से बनते हैं। स्टेम सेल ट्रांसप्लांट करने से नई कोशिकाएं बनने लगती हैं। इस दौरान कीमोथेरेपी के जरिए पहले से चल रही कोशिकाओं के बनने की प्रक्रिया को रोक दिया जाता है। किसी अन्य व्यक्ति से स्टेम सेल लेकर ट्रांसप्लांट को एलोजेनिक और जब व्यक्ति की खुद की स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की जाती है तो इसे आटोलोगस कहा जाता है।

इसलिए लगता है खर्च
एचएलए मिलान करने और अन्य जांचों के अलावा कीमोथेरेपी दी जाती है। इसके अलावा दवाओं का खर्च भी ज्यादा है। ट्रांसप्लांट होने तक सरकारी अस्पतालों में करीब पांच लाख रुपये लग जाते हैं। इसके बाद करीब डेढ़ साल तक दवाएं और जांचों का खर्च मिला लें तो यह खर्च १२ लाख तक पहुंच जाता है। इसी तरह से निजी अस्पतालों ट्रांसप्लांट तक का खर्च १२ लाख आता है। इसके बाद भी करीब १२ लाख रुपये जांच व इलाज में लगता है। इस तरह कुल खर्च करीब २४ लाख पड़ता है।

इनका कहना है
अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण केंद्र का सभी प्रस्ताव को शासन को भेज दिए गए है। जल्द ही कैंसर हॉस्पिटल में इसकी शुरूआत हो सकती है। इसके आगे का निर्णय शासन को लेना है।
डॉक्टर राजेश महोबिया, प्रभारी अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण केंद्र

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button