
जबलपुर,यशभारत। महिला सम्मान के लिए कांग्रेस ने हमेशा से लड़ाई लड़ी है। और आगे भी ये लड़ाई महिला सम्मान के लिए जारी रहेगी। काश्मीर का दर्द मेरी पहली प्राथमिकता होती थी क्योंकि मैं और मेरा परिवार 100 साल से वहां रहा है और जब हमने काश्मीर छोड़ा तो उसके बाद भी हमारे अंदर से काश्मीरियत कभी नहीं गई। काश्मीर के बाद मध्यप्रदेश में मैं और मेरा परिवार करीब 50 सालों से रह रहे हैं। ये बातेें राज्यसभा सांसद सदस्य विवेक कृष्ण तन्खा ने कांग्रेस की पत्रकारवार्ता के दौरान कहीं।
इस दौरान उन्होने ये भी कहा कि कई पीढियां से मध्य प्रदेश में परिवार ने काफी ख्याति प्राप्त की है मगर कश्मीरियत हमने कभी खोई नहीं और भूली नहीं मुझे आज भी स्मरण है 1993 94 की बात है तब मेरे ससुर साहब कर्नल अजय मुश्रान वह भी कश्मीरी पंडित थे और परिवार के 40 लोग करीब करीब मध्य प्रदेश के मंत्रिमंडल में सीनियर मंत्री थे । 10-20 साल तो फाइनेंस मिनिस्टर थे। 1994 की बात है जब आपकी तमाम बच्चों को बाहर आकर पढ़ने की जरूरत बनी पड़ी क्योंकि कश्मीर के कंडीशंस अच्छे नहीं थे तो महाराष्ट्र के बाद अगर दूसरा स्टेट था जिसने कश्मीर के स्टूडेंट्स को एकोमोडेशन किया था रिजर्वेशन सीट के किए थे वह मध्य प्रदेश था। उस समय मैं एक बड़ा वकील था बाद में महाधिवक्ता था और इन बच्चों का जब भी कोई प्रॉब्लम आती थी बहुत सारे बच्चे हैं बड़े-बड़े डॉक्टर हैं बड़े-बड़े इंजीनियर हैं कश्मीर में है कश्मीर के बाहर है विदेश में है हम उनकी मदद भी किया करते थे । जब भूकंप आया आई थिंक 2005 की बात है मदद की सामग्री लेकर आया उरी तक गया ।
मेरे साथ रोटरी क्लब के काम से कम 20 सदस्य गए थे बड़े-बड़े प्रोफेसर थे। इस दौरान आर्मी ने मुझसे कहा कि आप पहाड़ के ऊपर तो नहीं चल पाओगे । मगर उन्हें एक गुजारिश की हमसे क्या नवंबर का महीना है बहुत ठंड है अगर शेल्टर नहीं बने जल्दी से तो ज्यादा लोगों की फ्रास्टबिट से डेथ होगी ना कि अर्थक्वेक से अगले दिन पहुंच के मैंने यह बात सोनिया को जाकर बताइए और उसके बाद मैं तो अपने काम में बिजी हो गया । मैं अपनी तैयारी कर रहा था शाम को मैंने टीवी में देखा पीएम मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री अनाउंस कर रहे हैं कि 48 घंटे में कश्मीर में शेल्टर्स बन जाएगा। कोविड आया में पूरे देश के माइग्रेंट मदद कर रहा था बट स्पेशली कश्मीर के मध्य प्रदेश में छत्तीसगढ़ के। भोपाल इंदौर उज्जैन जबलपुर और ग्वालियर में बच्चे फंसे थे लड़कियां मुझे फोन करती थी मेल भेजती थी रोती थी क्योंकि घबरा गए थे पूरा देश बंद था उनके उनके कैंटीन बंद थी हॉस्टल्स बंद हो गए थे बहुत प्रॉब्लम में थी तो मैं मध्य प्रदेश के एडमिनिस्ट्रेशन से बात की सरकार व्यवस्था कर दी उनको वापस भेजने की । मध्य प्रदेश गवर्नमेंट से बोला कि इनको वापस भी जाना है क्या हम उनको रिक्वेस्ट कर सकते हैं अपने बच्चों के लिए बस कर दे जैसा होता था फैक्ट यह है कि कश्मीर में कोई गवर्नमेंट नहीं थी उनका बस नहीं कर सकते थे तो मैंने मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज जी से बात करके उन बच्चों के लिए बसेस कराई। उसके बाद मैंने उनको एनओसी चाहिए था तो आपके उसे वक्त के सेक्रेटरी थे सुब्रमण्यम साहब फॉर्चूनेटली वह मध्य प्रदेश के थे और मेरे को जानते थे मैंने सुब्रमण्यम साहब को फोन करके बोला इन बच्चों की बच्चों को मैंने वापस भिजवाया इसी तरह उसे वक्त पासेस की जरूरत पड़ती थी संजय सिंह के साथ में दिल्ली में मैं हजारों पैसेज कश्मीरी के लिए उपलब्ध कराए संजय सिंह जी पॉइंट्स में ।
कांग्रेस पार्टी जैसी कोई पार्टी नहीं उसे ही सपोर्ट करना है
पत्रकारवार्ता में श्री तन्खा ने कहा कि हमको कांग्रेस पार्टी जैसी पार्टी को ही सपोर्ट करना पड़ेगा क्योंकि वह एक पैन इंडिया पार्टी है और यहां नेशनल कांफ्रेंस के साथ उनका एक अच्छा मधुर एलाइंस है कल मैं फारूक जी और उमर जी से भी मिला था काफी देर उनके घर में चर्चा की और मुझे लगता है एक बहुत अच्छी प्रजातांत्रिक सरकार आएगी । आज यहां आने के पहले जो कॉन्ट्रैक्ट के टीचर्स हैं बेचारे वह मुझसे मिलने आए उनका एक डेलिगेशन आया कई दिनों से मेरे से बात कर रहे थे आपके पास भाई दो ढाई हजार कॉन्ट्रैक्ट प्रोफेसर हैं जो कॉलेज में 15-20 साल से पढ़ते हैं उनको फिक्स सैलरी मिलती है 28000 जबकि वह पर पीएचडी और क्या जेडर क्या है। जबकि यूसीसी का नियम है यूजीसी का रूल है कि किसी को यूजीसी सैलरी से काम नहीं मिल सकता इस तरह से कॉन्ट्रैक्ट में आप टीचर्स को नहीं रख सकते इसके बावजूद 10 15 साल से वह बेचारे परेशान है । मैंने उनको आश्वासन दिया हमारी पार्टी को इलेक्शन में पावर में आने दीजिए, मैं आपका केस की पैरवी मैं करूंगा और यह भी मैंने बोला डोंट वरी अगर पार्टी में आनाकानी की और देर की तो मैं हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट में भी आपकी पैरवी करके आपको रिलीव दिलाउगा। मैं चाहता हूं कि इस तरह कश्मीर में भी एक माहौल बने जिससे कोई कोई मरीज अनअटेंडेड न जाए यही कांग्रेस का ऑब्जेक्टिव है। कश्मीरी पंडितों का हक तो एक पार्ट है और मैं खुद ऐसा पार्लियामेंट मैं प्राइवेट मेंबर बिल पर लेकर आया हूं जो एडमिट हो चुका है।हमको आज भी याद है डॉक्टर मनमोहन सिंह ने उसे पर जो पैकेज बनाया था कश्मीरी पंडितों के लिए उससे कोई बड़ा पैकेज उसके बाद कभी नहीं बना।
जम्मू-कश्मीर के लिए कांग्रेस की गारंटी
🔹 स्टेटहुड का हक
✅ जम्मू-कश्मीर को स्टेटहुड दिलाएंगे
🔹 महिला सम्मान, हमारा हक
✅ घर की मुखिया को हर महीने ₹3000
✅ स्वयं सहायता समूहों के लिए ₹5 लाख तक का ब्याज मुक्त कर्ज
🔹 अच्छी सेहत, हमारा हक
✅ हर परिवार को ₹25 लाख तक का हेल्थ बीमा
✅ 30 मिनट में सस्ती हेल्थ सर्विस
✅ हर तहसील में एम्बुलेंस से लैस मोबाइल क्लीनिक
हर जिले में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल
🔹 कश्मीरी पंडितों का हक
✅ कश्मीरी पंडितों के रिहैबिलिटेशन के लिए डॉ. मनमोहन सिंह की योजना पूरी तरह लागू होगी
🔹 व्ठब् का हक
✅ संविधान के तहत पिछड़े वर्ग को पूरा हक
🔹 हमारी नौकरी, हमारा हक
✅ 1 लाख खाली नौकरियां भरेंगे
🔹 हमारा अनाज, हमारा हक
परिवार के हर सदस्य को 11 किलो राशन