स्वास्थ्य विभाग में तबादला घोटाला एनएसयूआई ने मुख्य सचिव से की शिकायत, दलालों और अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

स्वास्थ्य विभाग में तबादला घोटाला एनएसयूआई ने मुख्य सचिव से की शिकायत,
दलालों और अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग
भोपाल,यश भारत। मध्यप्रदेश में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) में चल रहे तबादलों में गहराते भ्रष्टाचार को लेकर भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) ने मोर्चा खोल दिया है। एनएसयूआई ने मुख्य सचिव अनुराग जैन को एक विस्तृत शिकायत पत्र सौंपते हुए आरोप लगाया है कि विभाग में एक संगठित तबादला माफिया सक्रिय है, जो पैसे और सिफारिश के दम पर स्थानांतरण करवा रहा है। प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार द्वारा सौंपे गए शिकायत पत्र में कहा गया है कि सरकार द्वारा पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू किए गए ई-HRMIS ऑनलाइन पोर्टल को दरकिनार कर अधिकारी और दलाल एक सुनियोजित तबादला दुकान चला रहे हैं।
ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं बेहाल
परमार ने आरोप लगाया कि इस भ्रष्ट व्यवस्था के कारण गांवों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह चरमरा गई हैं। मेडिकल ऑफिसर्स, स्टाफ नर्स और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को शहरों में स्थानांतरित कर दिया गया है, जिससे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) स्टाफविहीन हो गए हैं। इससे ग्रामीण जनता को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है। शिकायत में परमार ने उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला के आवास से जुड़े कुछ कर्मचारियों की इस तबादला गड़बड़ी में प्रत्यक्ष संलिप्तता का आरोप भी लगाया है। साथ ही कहा कि विभागीय अधिकारियों के साथ मिलकर दलालों का एक संगठित गिरोह नियमों को ताक पर रखकर भारी धनराशि लेकर तबादले करवा रहा है।
पारदर्शिता की बात करने वाली सरकार के सामने सवाल
रवि परमार ने सवाल उठाया है कि जब सरकार डिजिटल और पारदर्शी प्रणाली को लागू करने का दावा कर रही है, तो उसी के अधीनस्थ विभागों में इतनी बड़ी अनियमितता कैसे हो रही है? यह सीधे तौर पर शासन की साख को नुकसान पहुँचाने वाला कृत्य है। एनएसयूआई की मांगे हैं कि सभी ऑफलाइन तबादलों की निष्पक्ष जांच हो और उन्हें तत्काल निरस्त किया जाए। ई-HRMIS पोर्टल को अनिवार्य रूप से लागू करते हुए उसके बाहर किसी भी तबादले को अवैध घोषित किया जाए। घोटाले में लिप्त अधिकारियों, दलालों और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त व्यक्तियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई हो।