होना चाहिए 3 मरीज में एक नर्स, 10 को संभाल रही एक नर्स
मेडिकल-विक्टोरिया और एल्गिन में 24 घंटे एक हजार से ज्यादा नर्सें दे रही सेवाएं


जबलपुर, यशभारत। भारत एक संस्कारी देश है जहां लोग एक दूसरे का सम्मान करते है। इसी प्रकार नर्स मरीजों का देखभाल बहुत अच्छी तरह से करती है जिस प्रकार किसी भी काम के लिए एक बहन भाई का ख्याल रखती है, इसी वजह से नर्स को सिस्टर कहा जाता है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल अस्पताल, जिला अस्पताल विक्टोरिया और रानीदुर्गावती चिकित्सालय एल्गिन में 1 हजार से ज्यादा नर्सें 24 घंटे सेवाएं दे रही है। इन नर्सों के लिए सबसे पहले मरीज की सेवा होती है कभी-कभी ऐसा होता है कि नर्से अपने परिवार को कम और मरीजों को ज्यादा समय देती है।
3 शिफ्टों में काम करती है नर्सें
तीनों सरकारी चिकित्सालयों में नर्सेंस 3 3 शिफ्टों में काम कर रही है। जिस तरह से डॉक्टर अपनी सेवाएं रहे हैं वैसे ही नर्सेेस भी पूरी ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं। हालांकि बीच-बीच में नर्सेंस अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद करती रहती है परंतु उनके विरोध प्रदर्शन से आज तक मरीजों की सेहत से कभी खिलवाड़ नहीं हुआ है।
नर्सों की कमी से जूझ रहे हैं सरकारी चिकित्सालय
यहां एक बात ध्यान योग्य है कि सरकारी अस्पतालों में जितनी मुस्तैदी से नर्सेंस अपनी सेवाएं दे रही है परंतु उनकी एक पीड़ा भी है। दरअसल अस्पतालों में नर्सों की भारी कमी है। नियम है कि 3 मरीजों में एक नर्स का होना जरूरी है जबकि 10 मरीजों में एक नर्सेंस इंचार्ज का होना जरूरी है। परंतु तीनों प्रमुख चिकित्सालयों में नियम के अनुसार नर्सों की पदस्थापना नहीं है।
एक नजर चिकित्सालयों में नर्सों की पदस्थापना पर
नर्सिंग इंचार्ज विक्टोरिया-22
एल्गिन नर्सिंग इंचार्ज-10
मेेडिकल नर्सिंग इंचार्ज-72
नर्सिंग ऑफिसर विक्टोरिया-150
नर्सिंग ऑफिसर एल्गिन-50
नर्सिंग ऑफिसर मेडिकल-810
नर्सों की ड्यूटी टाइम
सुबह 7.30 से दो बजे तक
शाम 2 बजे से 7.30 बजे
रात में 7.30 से 7.30 सुबह तक
नोटः नाइट करने वाली नर्स को दो अवकाश मिलते हैं
पुलिस की तरह काम करती है नर्सेंस
जिस तरह से लोगों की सुरक्षा में पुलिस तैनात रहती है उसी तरह मरीजों की सेवा में भी नर्सेंस हमेशा तत्पर रहती है। 24 घंटे अस्पतालों में रहकर नर्सेंस मरीजों की देखाभाल करती है। डॉक्टरों द्वारा मरीज को दिए गए ट्रीटमेंट को समय-समय पर उपलब्ध कराना नर्सेंस का काम होता है। नर्सेंस की देखभाल और उचित परामर्श से मरीज का ठीक हो पाना संभव होता है।
कोरोना में जान की परवाह नहीं की
कोरोना में जिस तरह से नर्सों ने मोर्चा संभाला वह काबिले तारीफ था। पूरी ईमानदारी और निडरता से नर्सों ने कोरोना मरीजों की देखभाल की। एक वक्त था जब लोग एक-दूसरे मिल तक नहीं पा रहे थे परंतु अस्पताल में पहंुचने पर कोरोना मरीज को पूरा ट्रीटमेंट नर्स करती थी उस वक्त उन्हें अपने परिवार और खुद की चिंता तक नहीं रहती थी।
इनका कहना है
स्टाफ कम होने के बाबजूद मेडिकल अस्पताल की नर्सेस बेहतर ढंग से काम कर रही है। नर्सों का काम होता है कि वह मरीज की उचित देखभाल करें। मेडिकल की नर्स बहुत अच्छा काम कर रही है।
डॉक्टर अरविंद शर्मा, अधीक्षक मेडिकल अस्पताल
इनका कहना है
मेडिकल अस्पताल के सभी विभागों में नर्सें बेहतर ढंग से काम कर रही है। नर्सों की कमी तो है परंतु जितने की पदस्थापना है उसमें भी नर्सें मरीजों का पूरा ध्यान रख रही है। हमारी कोशिश रहती है कि मरीजों को किसी भी तरह की तकलीफ न हो।
डॉक्टर नवनीत सक्सेना, डीन मेडिकल कॉलेज