बालसागर जमीन लूट मामला: नगर निगम,जिला प्रशासन और टाऊन एंड कंट्री अफसरों की भूमिका संदिग्ध
जबलपुर, यशभारत। बालसागर जमीन लूट के मामले में जितना दोष नेताओं का है उससे ज्यादा अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। सब कुछ जानते हुए भी तालाब और ग्रीन बेल्ट की जमीन पर अवैध निर्माण की अनुमति दी गई। नगर निगम, जिला प्रशासन और टाऊन एंड कंट्री के अधिकारियों ने मिलकर तालाब की जमीन पर आशियाना बनवाकर लोगों के साथ धोखाधड़ी की। जमीन लूट मामले में सवाल बहुत है लेकिन जवाब किसी के पास नहीं। स्थानीय नेताओं से लेकर अधिकारियों ने सब जानते हुए भी प्लाटिंग कराई और लोगों को मकान बनाने का मौका दिया।
10 दिन में मकान तैयार नहीं होते सालों लगते है फिर क्यों कार्रवाई नहीं हुई
जब कालोनी तन रही थी तब राजस्व अमला और नगर निगम वाले कहां थे यह सभी जानते है कि किसी जमीन पर प्लाटिंग करने और मकान बनाने में कोई दस-पन्द्रह दिन तो लगते नहीं। वर्षो से बालसागर में तालाब मद की जमीन पर यह खेल चल रहा था लेकिन तब राजस्व अमला और नगर निगम की भवन शाखा वाले कहां जिनका काम अवैध निर्माण को रोकना और कार्यवाही करना है। बताया जाता है इस कालोनी में आवासीय मद के जो 35 के करीब खसरा बटांक हैं, उनमें से गिनती के भूखंडो पर कॉलोनी विकास की अनुमति ली गई थी इसके अलावा बाकी बटांको में अवैधे तरीके से प्लॉट और मकान बनाकर बेच दिए गए।
जमीन लुटेरों पर सख्त कार्रवाई हो
शहर के जलस्रोतों पर लाखों जलीय जीवों का जीवन निर्भर है। तालाब ऐतिहासिक महत्व का होने के साथ पर्यावरण को संतुलित बनाने वाली जल इकाई हैं। पर्यावरण के जानकारों से लेकर कानूनविदों का मानना है कि बाल सागर की जमीन पर अवैध निर्माण करने वाले नेताओं और प्रशासन के कारिंदों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाना चाहिए। जिन्होंने निर्माण में भूमिका निभाई उनके चेहरे उजागर होने चाहिए।