कटनी,यशभारत। जनमाष्टमी का महतव समझने के लिए आज स्कूल में राधा कृष्ण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें सभी लडक़े श्री कृष्ण की पोशाक में आये और लड़कियाँ राधा और गोपिया बन आयी। इस प्रतियोगिता में बच्चों ने हर्षोल्लास के साथ भाग लिया । जब भी प्रेम की बात होती है भगवान श्री कृष्ण का नाम सबसे पहले आता है श्री कृष्ण को प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है बाल्यावस्था में श्रीकृष्ण के गोकुल में गोपियों संग लीला की कहानियां आज भी मशहूर हैं। हालांकि सभी को प्रेम और स्नेह का पाठ पढ़ाने वाले श्रीकृष्ण का नाम सिर्फ राधा के साथ ही लिया जाता है ।श्री कृष्ण की नटखट लीलाएं आज तक मशहूर हैं। आज भी हर घर में मां अपने बच्चों को कान्हा के रूप में देखती हैं। देवकी ने जन्म दिया और यशोदा मां कहलाई। माता और पुत्र प्रेम की यह सबसे बड़ी मिसाल बनी घर में नए शिशु का आगमन ढेर खुशियां ले कर आता है। उसकी चंचलता, चपलता, मुस्कुराहट और नटखट पन से सारा क्षोभ, सारा कष्ट पल भर में ही लोप हो जाता है। हर मां अपने शिशु में कृष्ण की छवि देखती है। उसे लगता है जैसे कृष्ण ही उसके आंचल में उतर आए हैं। कृष्ण हैं ही ऐसे। कृष्ण की बाल लीलाओं की चर्चा करते ही नटखट कृष्ण की छवि आंखों में तैर जाती है। कृष्ण अपनी माता का हृदय मथ रहे थे और उससे यशोदा का प्रेम और भाव मक्खन से तिरने लगे थे। सही अर्थों में कहे तो कृष्ण जगदीश्वर ने बाकी जगत की माताओं को यह बतलाया की यशोदा के जैसा प्रेम मिले तो मैं पुत्र रूप में भी आपके यहां जन्म ले सकता हूं। संपूर्ण प्रतियोगिता में बच्चे बहुत ही उत्साहित दिखाई दिए। विद्यालय की समस्त शिक्षिकाओं ने बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना की।