कश्मीर में आतंकवाद आसुरी प्रवृत्ति: जगद्गुरु शंकराचार्य
द्वारका शारदा पीठ से जारी विज्ञप्ति में घटना पर गहरा रोष

द्वारका: पश्चिमाम्नाय श्रीद्वारकाशारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज ने भारतीय कश्मीर में विगत २२ अप्रैल को हुई घटना, जिसमें २७ से अधिक हिन्दुओं को निशाना बनाया गया, को एक अभूतपूर्व एवं आसुरी प्रवृत्ति करार दिया है। उन्होंने इस घटना को पाकिस्तान सेना प्रमुख आसिफ मुनीर के ‘टू नेशन थ्योरी’ संबंधी बयान का प्रायोगिक रूप बताया।
धर्म विशेष के लोगों को मारना चिंता का विषय
शंकराचार्य जी ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में धर्म विशेष के लोगों को चुन-चुन कर मारा जाना अत्यंत चिंताजनक है। यह घटना सांप्रदायिक तनाव और गृहयुद्ध की स्थिति उत्पन्न कर सकती थी, लेकिन भारत की रक्षा देवताओं द्वारा की गई। उन्होंने पाकिस्तान की इस मूर्खतापूर्ण कार्रवाई से उसकी संलिप्तता पूरे विश्व के सामने उजागर होने की बात कही। पूरा भारत इस घटना के विरुद्ध एकजुट खड़ा है।
जम्मू कश्मीर प्रशासन कठघरे में
इस प्रकरण में जम्मू कश्मीर प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश होने और राज्यपाल के हाथ में कमान होने के बावजूद कश्मीर के मुख्यमंत्री की ज़मीनी पकड़ है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी घटना में क्षेत्रीय संलिप्तता रही है, लेकिन क्षेत्रीय प्रशासन ने कभी केंद्रीय शासन का सहयोग नहीं किया। कश्मीर प्रशासन और पाकिस्तान दोनों ही कश्मीर में हिंदू आबादी की वृद्धि नहीं चाहते हैं। उन्होंने कश्मीर प्रशासन की जवाबदेही तय करने का आह्वान किया।
धारा ३७० और क्षेत्रीय राजनीति
शंकराचार्य जी ने धारा ३७० को पुनः लागू करने के मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन को मिले बहुमत पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह चुनाव क्षेत्रीय लोगों को उकसा कर जीता गया है और वर्तमान गठबंधन कश्मीर का विकास तो चाहता है लेकिन हिन्दुओं का प्रवेश नहीं।
राष्ट्र के अस्तित्व के लिए कूटनीति आवश्यक
जगद्गुरु शंकराचार्य ने संविधान के मूल उद्देश्य – देश की संप्रभुता की रक्षा – पर जोर देते हुए कहा कि जब राष्ट्र का अस्तित्व ही खतरे में हो, तो कूटनीति भी आवश्यक है। उन्होंने केंद्र सरकार से कश्मीर को पूरी तरह अपने नियंत्रण में लेने और स्थिति सामान्य होने तक राष्ट्रपति शासन लागू करने का सुझाव दिया।
आतंकवाद का होता है धर्म
उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह घटना उन लोगों के लिए एक सीख है जो कहते हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। वैश्विक स्तर पर यह प्रमाणित हो चुका है कि आतंकवाद में किस मजहब के लोग शामिल हैं और जिहाद के नाम पर एक धर्म विशेष के लोग पूरे विश्व में बदनाम हुए हैं।
राष्ट्रीय एकता का आह्वान
जगद्गुरु शंकराचार्य ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर धार्मिक, सामाजिक संगठनों और भारतीयता से ओतप्रोत मुस्लिम संगठनों से राष्ट्रीय एकता सुनिश्चित करने के लिए आगे आने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि १५० करोड़ लोगों की एकता से हमारी तीनों सेनाओं का मनोबल इतना बढ़ेगा कि कोई भी हमारा सामना नहीं कर सकेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर में भारत सरकार का निवेश पूरे हिंदुस्तान का पैसा है और सभी प्रदेश सभी के लिए हैं, यही लोकतंत्र है। कश्मीर को केवल मुसलमानों के लिए मानने की मानसिकता को कुचलना आवश्यक है। उन्होंने अखंड भारत का संदेश देते हुए कश्मीर में हिन्दू, ईसाई और सिखों को समान अनुपात में आगे लाने की बात कही।