
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2022 (PMLA) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार, 16 मई को बड़ा आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की तरफ से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में की जाने वाली गिरफ्तारियों पर टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि अगर मामला विशेष अदालत के संज्ञान में है तो ईडी पीएमएलए के सेक्शन 19 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल कर आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है।
केवल एक बार मिलेगी हिरासत
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि अगर ईडी को हिरासत की आवश्यकता है तो जांच एजेंसी को संबंधित अदालत के समक्ष आवेदन देना होगा। आवेदन में हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता के कारणों को बताना होगा। यदि अदालत संतुष्ट होती है तो केवल एक बार हिरासत दे सकती है।
समन पर पेश हुआ आरोपी तो मिलेगी जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर भी टिप्पणी की। कहा कि जिस आरोपी को ईडी ने जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया, उस पर जमानत पाने के लिए पीएमएलए में दी गई कड़ी शर्त लागू नहीं होगी। अदालत ने यह भी कहा कि जब चार्जशीट अदालत में दाखिल हो जाए और आरोपी को समन जारी किया जाए तो वह पेश हो जाए। इससे उसे जमानत मिल जाएगी। धारा 45 में दी गई जमानत की दोहरी शर्त पर उस पर लागू नहीं होगी। कोर्ट में चार्जशीट पेश करने के बाद अगर ईडी ऐसे आरोपी को गिरफ्तार करना चाहती है तो कोर्ट से अनुमति लेनी होगी।
जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुयान की पीठ ने यह फैसला दिया। पीठ ने कहा कि अगर धारा 44 के तहत शिकायत के आधार पर पीएमएलए की धारा 4 के तहत अपराध का संज्ञान लिया जा चुका है, तब ईडी और जांच एजेंसी के अधिकारी शिकायत में आरोपी बनाए गए शख्स को गिरफ्तार करने के लिए धारा 19 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।
मनमोहन सरकार में लागू हुआ था PMLA
केंद्र की मोदी सरकार पर पीएमएलए कानून के दुरुपयोग को लेकर आरोप लगते रहते हैं। इस कानून को अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 2002 में बनाया गया था। लेकिन मनमोहन सिंह की सरकार में 1 जुलाई 2005 में यह लागू हुआ। अब तक इस अधिनियम में 2005, 2009 और 2012 में संशोधन हुए हैं। इस अधिनियम का उद्देश्य ब्लैक मनी को व्हाइट करने से रोकना है।
इस कठोर कानून का पहला शिकार 2009 में झारखंड के पूर्व सीएम मधु कोडा बने थे। 2010 के बाद टूजी घोटाला, कोयला घोटाला समेत अन्य स्कैम में आरोपियों के खिलाफ पीएमएलए कानून के तहत शिकंजा कसा गया था। 2012 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इसमें संशोधन किया और इसके आयाम को बड़ा बना दिया था।