अजब रादुविवि की गजब कहानी!-कर्ता-धर्ता कुर्सी बचाए रखने काट रहे भोपाल के चक्कर

जबलपुर यश भारत।
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (आरडीयू) में प्रशासनिक व्यवस्था धीरे-धीरे ठप्प होती जा रही है। विश्वविद्यालय के कर्ता-धर्ता अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए भोपाल के चक्कर काट रहे हैं। हालात यह है कि टाइम टेबल निकाल दिया जाता है, लेकिन एग्जाम फार्म भरवाने की फुर्रस्त ही नहीं होती। इतना ही नहीं जब जिम्मेदारों को होश आता है कि परीक्षा फार्म भरे ही नहीं है और एग्जाम की डेट आ गई है। तो अनान-फानन में बिना परीक्षा फार्म भराए ही परीक्षा आयोजित करा ली जाती है। परीक्षा कार्य में इतनीबड़ी लारवाही होने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन मौन साधे हुए हैं। हालांकी एग्जाम कंट्रोलर ने उक्त मामले में अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। पूरा मामला हमेशा विवाद में रहने वाले बीएससी एग्रीकल्चर से जुड़ा है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने बीएससी एग्रीकल्चर फोर्थ सेमेस्टर का फरवरी माह में टाइम टेबल जारी करते हुए एग्जाम आयोजित कराए गए। इधर, छात्र इस बात का इंतजार ही करते रहे कि परीक्षा फार्म भरने के लिए पोर्टल खुलेगा, लेकिन ऐसा हुआ ही नहीं। जिसके चलते छात्र सीधे एग्जाम देने जा पहुंचे गए। छात्रों ने परीक्षाएं दी और डिपार्टमेंट ने उन्हें यह भी बता दिया कि कौन पास हुआ है और किसकी ऐटीकेटी आयी है। अन्यथा कौन फेल हो गया है।
फार्म भरने पहुंचे छात्र तो हुआ खुलासा
एग्जाम होने के बाद जब ऐटी-केटी का फार्म भरने छात्र ऑन लाइन सेंटर पहुंचे तो पूरे प्रकरण का खुलासा हो गया। ऑन लाइन सेंटर में मुख्य परीक्षा का डाटा ही नहीं था, क्योंकि मुख्य परीक्षा के तो फार्म ही नही भरे गए थे। जिसके बाद डैमेज कंट्रोल का खेल शुरू हो गया। नोटसीट चली, लेकिन कोई भी अधिकारी यह नहीं बता पा रहा है कि किस नियम के तहत एग्जाम होने के बाद एग्जाम फार्म फरवाए जाएं।
विश्वविद्यालय के खाते में एग्जाम शुल्क आया ही नहीं
परीक्षा कार्य में लापरवाही बरतने के साथ ही साथ उक्त पूरा प्रकरण वित्तीय अनियमितता का भी बनता है। दरअसल, बीएससी एग्रीकल्चर सेल्फ फाइनेंस के तौर पर संचालित है। नियमों के अनुसार परीक्षा फार्म भरने के लिए 2450 रुपए फीस तय है। तय नियम के हिसाब से पहले परीक्षा फार्म भरकर छात्र को निर्धारित शुल्क जमा करना होता है। लेकिन इस बार शुल्क जमा ही नहीं हुआ। मतलब विश्वविद्यालय के खाते में एग्जाम शुल्क आया ही नहीं।