खेल भावना का मतलब यह नहीं की हर हाल में दोस्ताना व्यवहार दिखाया जाए, भारत पाक क्रिकेट मैच जीत से ज्यादा चर्चा हाथ मिलाने की टीम इंडिया ने जीता देशवासियों का दिल बौखलाया पाकिस्तान

जबलपुर यश भारत। किसी शायर का एक मशहूर शेर है की रहने दो दोस्तों दस्तूर निभाते क्यों हो जब दिल ही नहीं मिले तो हाथ मिलाते क्यों हो। शायर की यह पंक्तियां रविवार को एशिया कप टूर्नामेंट में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए क्रिकेट मैच और भारत की जीत शानदार जीत के बाद टीम इंडिया के खिलाड़ियों के द्वारा जिस तरह से पाक खिलाड़ियों के प्रति बेरुखी दिखाई गई और हाथ मिलाने तक की परंपरा को तिलांजलि दी उसे न केवल क्रिकेट प्रेमी बल्कि हर देशवासी का टीम इंडिया ने दिल जीत लिया पर सटीक उतर रहीं हैं। यदि बात की जाए मैच की तो आज भी जीत से ज्यादा चर्चा हाथ मिलाने को हो रही है। एक तरफ जहां भारतीय खिलाड़ियों को देशवासियों की वाहवाही मिल रही है तो दूसरी तरफ पाकिस्तान भारतीय टीम के व्यवहार से बौखला गया है। उसकी वर्तमान से लेकर पूर्व खिलाड़ी तक ऊलजलूल बयानबाजी कर रहे हैं तो पीसीबी भी झल्लाहट में शिकवा शिकायत और टूर्नामेंट के बहिष्कार तक की धमकी पर उतर आया है। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने इस पूरे मामले को लेकर सबसे सटीक प्रतिक्रिया दी है उन्होंने कहा है कि भारतीय खिलाड़ियों ने बिल्कुल सही किया। सूर्यकुमार यादव और उनकी टीम ने मैदान के अंदर और बाहर दोनों जगह करारा जवाब दिया है। गांगुली ने यह भी कहा है कि खेल भावना का मतलब यह नहीं है कि आप हर हाल में दोस्ताना व्यवहार दिखाएं और वह भी जब तब सामने वाला देश लगातार तनाव विवाद और आतंकवाद जैसी घटनाओं को बढ़ावा दे रहा हो। भारतीय टीम की जीत केवल स्कोर बोर्ड की जीत नहीं बल्कि मानसिक मजबूती का प्रमाण है. भारतीय टीम ने स्पष्ट संदेश दिया है कि सम्मान केवल उन्हीं को मिलेगा जो सम्मान के लायक हों
सामने आई पाकिस्तान की बौखलाहट
एक तो मैच में मिली करारी हार और ऊपर से टीम इंडिया के द्वारा पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ नहीं मिलाया तो पाक ने आईसीसी का दरवाजा ही खटखटा दिया पीसीबी ने आईसीसी से गुहार लगाते हुए मैच के रेफरी को ही हटाने की मांग कर डाली तथा तत्काल प्रभाव से एक्शन लेने का आग्रह किया। बेइज्जती की चोट खाये पाक को लगता है कि इस पूरे मामले में असली गलती रेफरी की है। पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी शोएब अख्तर ने अपनी भड़ास निकाली है उन्होंने कारगिल युद्ध के समय का उदाहरण देते हुए एक विवादित बयान दे डाला शोएब ने कहा कि इसी पॉलिटिक्स मत बनाओ लड़ाइयां घरों में भी होती हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं की आप इसे अगले लेवल तक ले जाएं। पाकिस्तान के एक और पूर्व क्रिकेटर शोएब मलिक ने तो पाक मैनेजमेंट का ही मजाक उड़ा दिया।
और यह गीदड़ धमकी
हैंडशैक विवाद के बाद पीसीबी ने तो एशिया कप से बाहर होने तक की धमकी दे डाली। पीसीबी का कहना था कि इस तरह की घटनाएं क्रिकेट के अनुशासन और खेल भावना के खिलाफ है पीसीबी की ओर से चेतावनी भी दी गई कि यदि उचित स्पष्टीकरण नहीं दिया गया और माफी नहीं आई तो आगामी मुकाबले में भाग लेने से इनकार कर सकते हैं।
राष्ट्रवाद भी जीता, खेल भावना भी जीती
ज्यादातर क्रिकेट प्रेमी और भारतीयों का मानना है कि विगत दिवस संपन्न हुए भारत बनाम पाकिस्तान के क्रिकेट मैच में भारतीय खिलाडियों द्वारा शानदार प्रदर्शन कर न सिर्फ खेल जीता, बल्कि एक बार फिर दिल भी जीता। दोनों देशों के बीच मैच होना चाहिये या नहीं होना चाहिये, मैच देखना चाहिये या नही देखना चाइये जैसे वाद विवाद के बीच सरकार तथा bcci की काफी आलोचना भी हुई।
खेल में भारत के खिलाडियों ने जहाँ बेहतरीन प्रदर्शन कर मैच जीता वही मैच समाप्त होने पर विपक्षी टीम से मुलाकात और हाथ मिलाने वाली प्रथा का बहिष्कार कर सारे भारतवासियों का दिल भी जीत लिया।
पर इस पूरे प्रकरण ने एक नये खेल को चालू कर दिया जो मैदान के बाहर चालू है। पाकिस्तान टीम के भूतपूर्व खिलाडी, अब खिसयनि बिल्ली खंबा नोचे की तर्ज़ पर कहीं भारत के इस जवाब पर सवाल खड़ा करते नजर आये तो कभी अपनी ही टीम और क्रिकेट बोर्ड पर आरोप लगा रहे है।
भारतीय खिलाडियों ने मैच जीत कर , जीत को पहलगाम में मारे गए परिवारों को और सेना को समर्पित कर देश को गर्वित किया वही दुश्मन देश के खिलाड़ियों से हाथ ना मिलाकर संदेश भी दे डाला। भारतीय टीम ने जो किया सही किया।







