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जबलपुर में तहसील की व्यवस्थाएं निजी ऑपरेटरों के भरोसेः तहसीलदारों के निजी कर्मचारी बैठ रहे कार्यालय में हर दस्तावेज तक एप्रोच

जबलपुर यश भारत। अधारताल तहसील में पदस्थ तहसीलदार की गिरफ्तारी के बाद अब तहसील कार्यालय की व्यवस्थाओं पर सवाल उठने लगे हैं। जिसमें दलालों के साथ-साथ तहसीलदारों के निजी ऑपरेटर सबसे ज्यादा सवालों के घेरे में है । जिले की लगभग हर तहसील में ऐसे कंप्यूटर ऑपरेटर काम कर रहे हैं जो ना तो मध्य प्रदेश शासन के कर्मचारी हैं ना ही कलेक्ट्रेट गाइडलाइन के तहत दैनिक वेतन भोगी तैनात किए गए है। बल्कि वह तहसीलदारों के निजी कंप्यूटर ऑपरेटर हैं जिनकी नियुक्ति किसी भी शासकीय रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है और उनके वेतन भी अज्ञात माध्यमों से करे जाते हैं । जबकि उनकी पहुंच भू राजस्व के हर दस्तावेज तक होती है।

कैसे हो रहा भुगतान

जबकि उक्त कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति शासकीय माध्यम से नहीं हुई है। ऐसे में इनके भुगतान को लेकर भी सवाल उठता है । कुछ तहसीलदार इन्हें अपने पास से भुगतान करते हैं तो कुछ तहसीलों में इन्हें अपनी तंखा खुद निकालने की भी छूट दे दी गई है। जहां काम करने आने वाले लोगों से यह ऑपरेटर खुले आम वसूली कर रहे हैं । वहीं जो तहसीलदार अपने पास से इनका भुगतान करते हैं आखिर वह अपनी तंखा से उनकी तंखा क्यों दे रहे हैं, इस पर तो सवाल खड़े होंगे ही।

पोर्टल से लेकर आईडी तक पहुंच

जबकि यह कंप्यूटर ऑपरेटर तहसीलदारों के निजी सहायक के रूप में बैठे हुए हैं ऐसे में उनके पास तहसीलदारों से लेकर पटवारी तक की आईडी मौजूद रहती है। हर दस्तावेज हर रिकॉर्ड तक उनकी पहुंच रहती है कई जगह तो तहसीलदार और पटवारी की ओ टी पी भी कार्यालय समय में इनके पास मौजूद रहती हैं। ऐसे में भू राजस्व के रिकॉर्ड में छेड़छाड़ और गोलमाल होना कोई आश्चर्य करने वाली बात नहीं है। जबकि यह कर्मचारी रिकॉर्ड में कहीं भी मौजूद नहीं है ऐसे में उनके द्वारा किए गए गोलमाल की जिम्मेदारी भी इनके ऊपर नहीं बनती।

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