गरीब मां-बेटी को निगम का ‘जोरदार झटका’, ₹600 पेंशन पर ₹18,000 का प्रॉपर्टी टैक्स!
रतलाम नगर निगम की अमानवीयता: विधवा और बुजुर्ग मां को थमाया भारी-भरकम संपत्ति कर का नोटिस, सालाना आय से भी ज्यादा टैक्स

रतलाम: रतलाम नगर निगम ने एक गरीब परिवार के साथ ऐसा मजाक किया है, जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। नगर निगम ने एक कमरे के कच्चे मकान पर रहने वाली बुजुर्ग मां और उनकी विधवा बेटी को ₹18,000 का संपत्ति कर थमा दिया है, जबकि दोनों की सालाना आय मिलाकर भी इतनी नहीं है।
यह मामला रतलाम के खातीपुरा क्षेत्र का है, जहां रेखा पंवार अपनी बुजुर्ग मां रामी बाई के साथ रहती हैं। रेखा बताती हैं कि उनके पिता की मृत्यु के बाद जब वे मकान के नामांतरण के लिए नगर निगम गईं, तो उन्हें ₹18,000 का संपत्ति कर जमा करने के लिए कहा गया, तभी नामांतरण हो पाएगा।
अपनी परेशानी लेकर मां-बेटी रतलाम कलेक्टर राजेश बाथम के पास भी गईं, लेकिन उन्हें सिर्फ मामले को दिखवाने का आश्वासन ही मिला। रेखा और उनकी मां को वृद्धावस्था और विधवा पेंशन के रूप में प्रतिमाह ₹600-₹600 मिलते हैं, यानी दोनों की कुल वार्षिक पेंशन ₹14,400 है। इसी पेंशन से उनका गुजारा चलता है और रेखा थोड़ी-बहुत मजदूरी करके अपने बच्चों का पालन-पोषण करती हैं। ऐसे में ₹18,000 का संपत्ति कर उनके लिए एक बड़ा बोझ बन गया है।
विडंबना यह भी है कि रेखा को मध्य प्रदेश सरकार की लाडली बहना योजना का लाभ भी नहीं मिल रहा है, क्योंकि उन्हें पहले से ही सामाजिक पेंशन मिल रही है। जबकि पड़ोस की अन्य महिलाओं को ₹1250 की सरकारी सहायता मिलती है, रेखा को सिर्फ ₹600 मिलते हैं।
नगर निगम के इस अजीबोगरीब संपत्ति कर की गणना पर जब उपायुक्त करुणेन्द्र दंडोतिया से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि हो सकता है कि परिवार ने पहले कभी संपत्ति कर जमा न करवाया हो, इसलिए इतना ज्यादा टैक्स आया है। उन्होंने भी मामले को दिखवाने की बात कही है, जबकि रेखा का कहना है कि वह पहले संपत्ति कर भर चुकी हैं और यह ₹18,000 पिछले एक साल का टैक्स है।
अब रेखा पंवार मांग कर रही हैं कि उन्हें संपत्ति कर में रियायत दी जाए ताकि वे अपने मकान का नामांतरण करवा सकें। एक गरीब परिवार को, जिसकी सालाना आय ₹18,000 से भी कम है, एक कच्चे मकान के लिए इतना भारी-भरकम संपत्ति कर का नोटिस देना कहां तक उचित है, यह बड़ा सवाल है। इस मामले ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।







