private schools in Jabalpur: जबलपुर में निजी स्कूलों के खिलाफ अभिभावक उतरे सड़कें पर, प्रशासन से गुहार मनमानी पर पूर्ण अंकुश लगाएं
private schools in Jabalpur: प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के खिलाफ आज अभिभावक संगठन सड़क पर उतर आए। मालवीय चैक पर एकजुट विरोध-प्रदर्शन कर रहे अभिभावकों ने व्यापारी बंधुओं से बंद का आह्वान भी किया। विरोध प्रदर्शन के बाद सभी ने एकजुट होकर कलेक्टर कार्यालय कूच किया, जहां ज्ञापन सौंपा । पुलिस-प्रशासन को सहयोग कर रहे अभिभावकों का कहना था कि, निजी स्कूल तरह-तरह के षड़यंत्र रच कर एक ओर हमें लूट रहा है तो दूसरी ओर सरकार पर दबाव बनाने का कुचक्र रच रहा है, इसलिए हमें सड़क पर आना पड़ा है, ताकि शासन-प्रशासन मजबूती से इस मनमाने पर अंकुश लगाए। ( private schools in Jabalpur)
private schools in Jabalpurअभिभावक संगठनों द्वारा किए गए इस आव्हान के चलते व्यापारी अपने-अपने प्रतिष्ठान खोलकर तो बैठे रहे, किंतु इस मुद्दे पर सभी प्रशासन की कार्रवाई के साथ होने की बात करने से भी पीछे नहीं हटते। उनका कहना है, कि वे इस तरह की लूट-पाट के खिलाफ हैं। माना जाए तो जनता का मूक समर्थन शासन-प्रशासन की इस मुहिम को प्राप्त है, लेकिन सड़कों पर आ कर लड़ने में व्यापारी और कामकाजी वर्ग पीछे है।धरना-प्रदर्शन कर रहे अभिाभावकों का कहना है कि, यदि हम अभी एकजुट नहीं हुए तो फिर कभी हमें और हमारे बच्चों को स्कूल शिक्षा माफिया के षड़यंत्रों से मुक्ति नहीं मिल पाएगी।
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जो हिम्मत दिखा कर पहल की है उसके सपोर्ट में हमारी भी जवाबदारी बनती है कि, हम प्रशासन का हाथ मजबूत करें। यदि हमारे बच्चे 3 महीने स्कूल नहीं जाते और जुलाई में स्कूल नहीं खुलती तो हम सब मिलकर अपने बच्चों का नाम उस स्कूल से तुरंत अलग कर लेंगे और हमें इतनी हौसला दिखाना होगा कि, प्रशासन इन स्कूलों के खिलाफ कड़े निर्णय ले कर ऐसे स्कूलों की मान्यता तुरंत रद्द कर दे। यदि यह लड़ाई लम्बे समय चलती है तो हमें स्कूल प्रशासन को मजबूर करना होगा कि, हमारे बच्चों को जनरल प्रमोशन दिया जाए।
(private schools in Jabalpur:) यदि अभी नहीं जागे तो चंद पूंजीपति लोग तो अपने बच्चों को तो पढ़ा लिखा लेंगे और सामान्य मीडियम क्लास के परिवार जीवन भर तड़पते रहेंगे व हमारे बच्चे कभी कुछ नहीं कर पाएंगे क्योंकि महंगाई की मार कभी खत्म नहीं होने वाली है। अभिभावकों ने आज कलेक्टर को एक ज्ञापन भीसौंपा। जिसमें उन्होने स्कूलों में तीन प्रकार की यूनिफॉर्म की जगह मात्र एक यूनिफॉर्म, सिलेबस 3 साल में एक बार ही बदल जाएगा,स्कूल बसों की फीस माफ की जाएगी या सिर्फ दूरी के हिसाब से सहयोग के तौर पर ली जाने की मांग उठाई है।