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डिलेवरी से लेकर डिपॉजिट तक लग रहा चढ़ावा

समीक्षा बैठक में मिलरो ने उठाया डिलीवरी में पैसे मांगने का मामला

 

 

जबलपुर यश भारत। सोमवार को कलेक्ट्रेट परिसर में कस्टम राइस मिलिंग करने वाले मिलरो के साथ प्रशासनिक अधिकारियों ने समीक्षा बैठक ली। इस दौरान प्रभारी फूड कंट्रोलर और संयुक्त कलेक्टर कुलदीप पाराशर के सामने राइस मिलरो द्वारा धान डिलेवरी के दौरान मांगे जा रहे पैसों का मामला उठाया। जिसमें कुछ राइस मिलरो द्वारा खुलकर कहा गया कि पाटन और करारी ब्रांच के कुछ गोदाम संचालकों के द्वारा धान की डिलेवरी देने के नाम पर 10 से 15 रुपए प्रति क्विंटल की मांग की जा रही है और यदि उन्हें यह पैसा नहीं मिलता तो फिर धान की डिलेवरी रोक दी जाती हैम जिससे उन्हें बहुत आर्थिक नुकसान हो रहा है और मिलिंग का काम समय पर पूरा नहीं हो पा रहा।

आर ओ से लेकर डिपॉजिट तक लगता है पैसा

धान मिलिंग के मामले में नीचे से लेकर ऊपर तक पैसा लगता है। जहां सबसे पहले राइस मिलर विपणन संघ कार्यालय से धान का रिलीज ऑर्डर लेते हैं तो वहां प्रति क्विंटल के हिसाब से रेट फिक्स है । उसके बाद जब गोदाम से धान उठाने जाते हैं तो वहां प्रति रिलीज ऑर्डर ब्रांच का रेट फिक्स है। उसके बाद कई गोदाम संचालक प्रति क्विंटल के हिसाब से पैसा मांगते हैं। उसके बाद धान की मिलन होने के उपरांत जब चावल सरकारी गोदाम में जमा होने जाता है तो फिर उस ब्रांच का एक रेट फिक्स है। उसके बाद नागरिक आपूर्ति निगम का क्वालिटी कंट्रोलर और केंद्र प्रभारी चावल को पास करता है उसका एक रेट है। उसके आगे निगम के वरिष्ठ अधिकारियों तक भी एक फिक्स रेट से पैसा पहुंचता है। अब इस साल से भोपाल में बैठे कुछ माननीय तक भी फिक्स रेट से पैसा पहुंचने लगा है ।

यहां चल रहा कुछ और ही खेल

धान की मिलिंग में दो विभागों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। पहला है विपणन संघ और दूसरा है नागरिक आपूर्ति निगम। एक विभाग धान देता है और दूसरा चावल जमा करता है। इन समय विपणन संघ में कुछ और ही लीला चल रही है। राइस मिलरो की माने तो यहां जो जबलपुर के लोकल मिलर है उन्हें 10 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है। वही बाहर के राइस मिलरो को 15 रुपए का रेट फिक्स है। जिसका हिस्सा जबलपुर से लेकर भोपाल और उपार्जन से जुड़े अधिकारियों तक पहुंचता है, लेकिन इस समय विवरण में कुछ अलग ही कहानी चल रही है। जहां जिले में बैठे अधिकारी सांत बैठे हैं, क्योंकि वह नए हैं और फूक- फूक कर पैर जमा रहे हैं। वहीं जिले के बाहर से जिले की कमान संभाल रहे मुख्यालय के लाडले अधिकारी अपना कर अलग ही छेड़ रहे हैं। जो पूरा हिसाब किताब उनके पास लाने की हिदायत दे रहे हैं। ऐसे में मिलरो को समझ नहीं आ रहा कि चढ़ावा चढ़ाए तो कहां चढ़ाये। जबकि मिलिंग का आखिरी सीजन चल रहा है। अब काली डायरी में फाइनल हिसाब करने का समय आ गया है लेकिन दो अधिकारियों की खींचतान में मामला सेट नहीं हो पा रहा।

वर्जन

जिले के राइस मिलरो के साथ एक समीक्षा बैठक ली गई थी। जिसमें मिलिंग से संबंधित जानकारियां ली गई और जिनके लॉट अधूरे हैं उसे जल्द से जल्द पूरा करने को कहा गया। कुछ मिलरो के द्वारा डिलेवरी में आ रही समस्याओं का मुद्दा उठाया गया था। जिसको लेकर वेयरहाउसिंग के मैनेजर को जानकारी लेने कहा गया है।

कुलदीप पाराशर
प्रभारी फूड कंट्रोलर
संयुक्त कलेक्टर जबलपुर

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