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राशि मिलने के बाद भी की झूठी शिकायत, न्यायालय ने खारिज की याचिका

जबलपुर, यश भारत।
बिल्डर द्वारा अनुबंध निरस्तीकरण में राशि प्राप्त होने के बाद भी शिकायत कर ओमती थाने में शिकायत दर्ज कराने के मामले में न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया है। राजकुमार बुधरानी व्दारा बिल्डर शंकर मंछानी से अनुबंध निरस्तीकरण में राशि प्राप्त हो जाने के पश्चात एफआईआर दर्ज कराई थी। माननीय उच्च न्यायालय व्दारा याचिका खारिज करते हुए शिकायतकर्ता राजकुमार बुधरानी को दुर्भावनापूर्ण अभियोजन के लिए फटकार लगाई है।
न्यायालय ने स्पष्ट किया की यह मामला आपराधिक नहीं बल्कि पूर्णतः सिविल प्रकृति का हैं। जिसमें आपराधिक प्रक्रिया का दुरुप्योग किया गया है। एफआईआर के विरूध शंकर मंछानी ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्ततुत की और यह तर्क दिया कि मामला एक सामान्य सिविल विवाद हैं, जिसमें संपत्ति से संअंधित लेन-देन की राशि पहले की चैंको के माध्यम से लौटा दी गई है। न्यायालय ले इस बात पर बल दिया कि जब शिकायतकर्ता को सिविल प्रकिया में सफलता की संभावनांए क्षीण प्रतीत हुई, तभी उन्होने आपराधिक झूठी शिकायत का सहारा लिया। माननीय न्यायालय ने एफ.आईआर को रद्द करते हुए टिप्पणी की कि इस प्रकार की दुर्भावनापूर्ण शिकायते न्यायिक व्यवस्था की गंभीर अवहेलना हैं और कानून के दुरूपयोग का प्रतीक हैं। न्यायालय ने कहा कि आपराधिक विधि का प्रयोग केवल उन्हीं मामलों में किया जाना चाही। प्रथम दुष्टता अपराध की पुष्टि होती हो, न कि सिविल विवादों में अनुचित लाभ लेने के उद्देश्य से। इसके पूर्व में भी माननीय उच्च न्यायालय व्दारा दिए गए अंतरिम आदेश दिनांक 06.02.2025 के विरूध माननीय सर्वोच न्यायालय दिनाक 09.03.2025 को खारिज कर दि गई थी।

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