धार्मिक रास्ते से कद बढ़ा रहे नेता
नेताजी भाव विभोर होकर नामांकन फॉर्म तो भर आए । उम्मीद थी कि हमारे साथ मान मनौवल का दौर चलेगा । बड़े-बड़े नेता घर आएंगे, मनाएंगे और फिर हम अपना फार्म वापस ले लेंगे। लेकिन ऐसा हो ना सका। अब नामांकन है कि ना उगला जा रहा है ना निकाला जा रहा है। अब तो नेताजी बड़े नेताओं को छोड़ भगवाधारियों की शरण में जाकर कह रहे हैं कि हमारा मैसेज भोपाल तक पहुंचवा दो, हम तो मानने तैयार हैं। कम से कम किसी को मनाने तो बुला दो।
दुखी मन से कैसे होगा प्रभात
भारतीय जनता पार्टी इस विधानसभा चुनाव में भी अपना फिर से उदय करना चाह रही है। लेकिन भाजपा के नगर अध्यक्ष ने व्यथित होकर अपना पद त्याग दिया था। लेकिन पार्टी ने फिर से काम पर लौटने का आदेश थमा कर पार्टी के लिए नया प्रभात यानी नई सुबह लाने का आदेश थमा दिया है। अब दुखी मन के प्रभात कैसे बेमन से पार्टी के लिए नया सवेरा ला पाएंगे यह तो हर मन का सवाल है । दुखी मन के प्रभात बेमन से पार्टी के लिए क्या करते हैं या क्या नहीं करते यह आने वाला समय ही बताएगा।
तो क्या इस बार नहीं मार रहे पलटी
ग्रामीण की एक ऐसी विधानसभा सीट है जहां से पिछले चुनाव में कांग्रेस की पूरी की पूरी टीम ही पलटी मार कर भाजपा के खेमे में जा बैठी थी। तो इस बार भी नेताजी को उम्मीद थी कि विपक्षी खेमे को अपने खेमे में पलटा लेंगे, उसके लिए बजट की भी व्यवस्था पहले से कर ली गई थी। लेकिन इस बार न जाने पलटी बाजों का कौन सा इमान जाग गया है, कि बंडल के बंडल वापस लौट रहे हैं। ऐसे में बड़े कद के नेता छोटे कद के पलटी बाजों को पलटने के लिए जोर तो लगा रहे हैं लेकिन न जाने कौन सी खता हो गई है कि इस बार पुराने पलटू इस बार कांग्रेस के साथ चिपके दिखाई दे रहे हैं।
टिकट किसी को, फायदा किसी का
जाति के समीकरणों को देखते हुए कांग्रेस द्वारा पनागर विधानसभा सीट से कुर्मी समाज के चेहरे को मौका दिया है। जिसका फायदा पनागर में कांग्रेस को कितना होता है यह तो परिणाम बताएंगे । लेकिन आजू-बाजू के दूसरे कांग्रेसी इसे अपने लिए जरूर फायदेमंद मान रहे हैं। हालांकि कांग्रेस पहले भी ऐसे प्रयोग कर चुकी है लेकिन परिणाम उसकी गवाही खुद ही देते हैं। अब इस बार नई बहू के आने से पड़ोसी भी अपने लिए 56 भोग के सपने सजाए बैठे हैं। अब देखना होगा पनागर के लोगों की रिश्तेदारी सिहोरा बरगी और पाटन में कितनी कारगर होती है।