जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

KATNI NEWS:- मिट्टी को श्री गणेश बनाने में जुटे सृजनकर्ता -18 को गणेश चतुर्थी से शुरू होगा 10 दिवसीय गणेशोत्सव पर्व,

इस बार भी बड़ी प्रतिमाओं की डिमांड ज्यादा

कटनी। शहर में गणेशोत्सव की तैयारी जोरो पर है। मूर्तिकार सृष्टि के विघ्नहर्ता की प्रतिमा को आकार देने में जुटे हुए है। बच्चों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। बच्चे व विभिन्न समिति के सदस्य भगवान श्रीगणेश के स्वागत में लगे हुए हैं। गणेश चतुर्थी 19 सितंबर से प्रारंभ हो रहा है। श्रद्धालु भगवान गणपति के स्वागत में जुटे हुए हैं। शहर मे विभिन्न जगहो पर गणेश की प्रतिमाएं स्थापित की जाएगी। स्वागत में आकर्षक व भव्य पंडाल बनाए जा रहे हैं। नगर में कलकत्ता के कलाकार व स्थानीय मूर्तिकार भगवान गणेश की प्रतिमा को आकार दे रहे हैं। मूर्ति देखने बच्चे व समिति के सदस्य मूर्तिकार के पास पहुंच रहे हैं। विघ्नहर्ता के आकर्षक रूप की मूर्ति की बुकिंग करा रहे हैं। श्रीगणेश की मिट्टी की मूर्ति का आकार लेता देखना बच्चों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।

महंगाई का असर

श्रद्धालु भगवान गणपति के स्वागत की तैयारी में है, लेकिन इस बार समितियों पर अधिक भार पड़ सकता है। मूर्ति बनाने के संसाधन मिट्टी, लकड़ी-बत्ता, पैरा महंगे हो गए हैं। मूर्तिकार ने बताया मिट्टी की कीमत बढ़ गई है। लकड़ी, बत्ता, बांस के दाम भी आसमान छू रहे हैं। मूर्ति सजावट के सामान एवं वस्त्र की कीमते भी बढ़ गई है।

बनाई जा रही प्रतिमा

प्रेम रामायण समाज भवन के पीछे, द्वारका भवन, फारेस्टर प्ले ग्राउंड के सामने व्हाइट हाउस, गांधी गंज सहित अन्य क्षेत्रों में कलाकारों के द्वारा विभिन्न रूपों में मूर्तियां बनाई जा रही है। जिसे अंतिम रूप देने का कार्य भी कलाकारों के द्वारा किया जा रहा है। कलाकारों के द्वारा चूहे सवार, गणेश जी का बाल्य रूप, पान के पत्ते पर सवार गणेश की प्रतिमा, शेष नाग पर सवार गणेश जी, गणेश जी के साथ सरस्वती आदि रूपों में मूर्तियां बनाई गई है। विदित हो कि कलकत्ता के ये कलाकार पिछले कई वर्षो से कटनी आते है और यहीं रहकर मूर्तियों का निर्माण करते है। कुछ कलाकार तो कटनी में बस ही चुके हैं। स्थानीय कलाकारों ने भी इनसे मूर्तिकला के हुनर सीखे हैं। गणेश प्रतिमाओं के सृजन के फौरन बाद मां दुर्गे की प्रतिमाओं के सृजन का काम शुरू हो जाएगा। कटनी में पिछले कुछ वर्षों में बड़ी प्रतिमाओं की स्थापना का चलन बढ़ा है, जिसको देखते हुए कलाकार भी बड़ी प्रतिमाएं गढ़ने लगे हैं।

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