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JABALPUR NEWS:- नर्मदा तट पर राजा बलि ने दी थी वामन भगवान को तीन पग भूमि दान

मां नर्मदा के तट पर राजा बलि ने यज्ञ में भगवान को तीन पग भूमि दान की थी

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जबलपुर।राजा बलि और वामन का प्रसंग तो सभी ने सुना हैं, लेकिन यह बहुत कम ही लोगों को मालूम हैं कि यह दान राजा बलि ने नर्मदा तट पर किया था। इसके अलावा ऋषियों की साधना से जुड़े कई प्रसंग नर्मदा पुराण,शिव पुराण और स्कन्द पुराण में मिलते हैं। वर्णित है। आज भी लोग नर्मदा तट पर भक्ति करने पहुंचते हैं। जहां भी राजा बलि का प्रसंग आता है, वहां लोग मां नर्मदा के तट पर हुए यज्ञ को भी याद करते हैं।

नर्मदा के तट पर ऋषियों ने की थी तपस्या : शिवपुत्री, शिवनंदनी, जीवनदायिनी,पुण्यसलीला मां रेवा के तट को ऋषियों ने अपनी साधना स्थली को चुना। नर्मदा तट पर महर्षि भृगु ऋषि, मार्कंडेय,जाबालि और भगवान परशुराम ने अपनी साधना के लिए नर्मदा तट का ही चयन किया। इसका उल्लेख नर्मदा पुराण और स्कन्द पुराण में मिलता है।

केरल से यज्ञ करने नर्मदा तट पहुंचे : नर्मदा का सौंदर्य और भक्ति लोगों को अनादिकाल से अपनी ओर आकर्षित करती रही है। यही कारण है कि केरल के राजा बलि ने भी कई तीर्थ स्थलों को छोड़कर अपने 100 वे यज्ञ के लिए नर्मदा तट को चुना।
इतिहासकार डा. आनन्द सिंह राणा बताते हैं कि दक्षिण भारत में राजा बलि का राज्य था और उसने महाबलिपुरम को अपनी राजधानी बनाई थी।

राजा बलि की याद में आज भी केरल में ओणम पर्व मनाया जाता है। जहां भी राजा बलि का प्रसंग आता है, वहां लोग मां नर्मदा तट के हुए यज्ञ को याद करते हैं।
नर्मदा तट पर 100 वा यज्ञ : शंकराचार्य मठ के बम्हाचारी चैतन्यानंद ने बताया कि राजा बलि इंद्र की आसन प्राप्ति के लिए 100 वा यज्ञ की तैयारी में था। तभी भगवान के रूप में आये वामन भगवान ने राजा बलि की परीक्षा लेने की ठानी और यज्ञशाला पहुंच गए। जहां बलि से दान में तीन पग भूमि मांगी।
भगवान ने पहले पग में आकाश, दूसरे पग में धरती नाप ली।तब राजा बलि ने अपना सिर सामने रखा,तीसरा पग बलि के सिर रख दिया,तब वामन भगवान ने राजा बलि को पाताल में रहने की आज्ञा दी। बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान ने उससे वरदान मांगने को कहा तो, बलि ने चौबीस घंटे श्री हरि को अपने सामने रहने कहा। मां नर्मदा तट का वह स्थान लम्मेहटाघाट है। यही पर भगवान वामन ने तीन पग भूमि नापी थीऔर राजा बलि ने इसी स्थान पर 100 यज्ञ करने जा रहा था।

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