जबलपुर मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी बीएससी नर्सिंग परीक्षा मामला: भोपाल गांधी मेडिकल परीक्षा सेंटर का उत्तरपुस्तिका बंडल गायब
डाक विभाग को ठहराया जा रहा दोषी: छात्र नेता अभिषेक पांडे

उत्तरपुस्तिका गीली जांच का मामला ठंडे बस्ते, यूनिवर्सिटी का एक और कारनामा सामने आया
जबलपुर, यशभारत। मप्र आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी एक बार फिर विवादों में है। दरअसल पूरा मामला भोपाल गांधी मेडिकल परीक्षा सेंटर की उत्तरपुस्तिका गायब होने से जुड़ा है। परीक्षा सेंटर से बीएससी नर्सिंग परीक्षा की उत्तरपुस्तिका का बंडल एक माह पहले भेज दिया गया था लेकिन बंडल यूनिवर्सिटी से गायब हो गया। जबकि विवि अधिकारियों का तर्क है कि बंडल पहुंचा ही नहीं है। इधर इस मामले में छात्र नेता अभिषेक पांडे का आरोप है कि यूनिवर्सिटी के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ रहे हैं और ऐसे प्रकरण सामने आ रहे हैं। । मालूम हो कि अभी तक विवि में उत्तरपुस्तिका गीली मामले का पटाक्षेप नहीं हुआ है और ऐसे में गंभीर प्रकरण सामने आ गया। इससे तय है कि विवि में गड़बड़ी थम नहीं रही है।
भोपाल सेंटर का बंडल आज भी लापता
भोपाल सेंटर का एक बंडल आज भी मेडिकल कालेज नही पहुँचा जबकि उसे 10/10/22को पोस्ट कर दिया यूनिवर्सिटी के अधिकारी अपना पल्लू बचाने पोस्ट ऑफि़स पर फोड़ रहे ठीकरा विश्वविद्यालय के जि़म्मेदार अपनी गलती छुपाने के लिए पोस्ट ऑफि़स पर लेटर वार कर रहे जबकि जि़म्मेदारों को यह होश नही रहता की कोन सी सेंटर की कॉपी आइ ओर कोन सी की नही यदि जाँच कमेटी का डर ना होता तो जि़म्मेदार जानने का प्रायश भी नही करते
उत्तरपुस्तिका का बंडल नहीं मिला तो क्या होगा?
छात्र नेता अभिषेक पांडे ने बताया कि उत्तरपुस्तिका का बंडल नहीं मिला तो फिर क्या होगा? विवि दोबारा परीक्षा आयोजित कराएगा या फिर मनमाने तरीके से सब छात्रों को पास कर दिया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो बंडल गायब करने एक षडयंत्र और इसके पीछे कमाई करना है। सम्भावना का बाज़ार गर्म है हर जगह एक ही चर्चा कि यदि कॉपी का बंडल नहीं मिलता तो उसमें केद छात्रों के भविष्य का क्या होगा। अभिषेक पांडे ने कहा कि मेडिकल विश्वविद्यालय के कुलपति अधिकारी सार्वजनिक बयान देते हे कि हम रात तक काम करते हैं, इन प्रकरणों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह क्या काम करते है। रिज़ल्ट हमेशा रात में ही निकाले जाते रात का मुहूर्त ही विश्वविद्यालय को सुविधाजनक रहता है क्योंकि सब काला सफ़ेद हो जाता हे जि़म्मेदार यदि ईमानदार का चोला पहने है तो फिर कार्यपरिषद में बनी जाँच कमेटी से जाँच कराने में क्यों डर रहे है।