लगता है कप्तान की नसीहत को हल्के में ले रहे थाना प्रभारी
जबलपुर यश भारतः पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय ने जिस दिन से पदभार ग्रहण किया है उसके बाद से ही वे पुलिस की कार्य प्रणाली में कसावट लाने के लिए प्रयासरत है थाना प्रभारी और पुलिस अधिकारियों की लगातार बैठक और थानों के निरीक्षण के दौरान उन्होंने हमेशा दो टूक शब्दों में कहा है कि थाना प्रभारी और उनका स्टाफ न केवल जनता के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराये बल्कि फील्ड में उतरकर कार्य करें साथ में उन्होंने रात्रि गस्त पर भी जोर दिया है इसके पीछे कप्तान की मंशा साफ है कि जब पुलिस फील्ड पर नजर आएगी तो अपराधियों में पुलिस को लेकर दहशत भी बढ़ेगी जिसके चलते अपराधों के ग्राफ में कमी आएगी वही आम जनता में भी पुलिस के प्रति न केवल विश्वास बढ़ेगा बल्कि जनता में अपराध और अपराधियों से जो असुरक्षा की भावना बढ़ रही है वह भी कम होगी लेकिन लगता है कि चेंबर में बैठकर थाना संचालित करने वाले थाना प्रभारियों को यह बात नागवार गुजर रही है या फिर वे पुलिस अधीक्षक की नसीहतों को हल्के में ले रहे हैं जिसके कारण ना तो पुलिस फील्ड में नजर आ रही है और ना ही रात्रि में वैसी गस्त हो रही है जैसी होनी चाहिए थाना पुलिस सिर्फ खाना पूर्ति में लगी है जो उनके उदासीन रवैया को उजागर करती है पिछले कुछ समय से
देखने में आ रहा है कि ज्यादातर थाना प्रभारी या तो अपने चेंबर में बैठकर थाना चला रहे हैं या थाने के आसपास कोई ऐसी जगह सुनिश्चित कर लेते हैं जहां बैठकर वे खाना पूर्ति करने में ज्यादा विश्वास रखते हैं कभी ऐसा भी समय था जब पुलिस थाने की बजाय फील्ड पर ज्यादा नजर आती थी जिसके कारण आसामाजिक तत्वों मैं पुलिस का खौफ रहता था नियमित रात्रि ग्रस्त की चलते भी चोरी और दूसरी वारदातें कम होती थी क्योंकि तत्वों के मन में यह भय रहता था कि न जाने कब पुलिस आ जाए और वे सीखचो के पीछे पहुंच जाएं लेकिन अब ऐसा नहीं है रात्रि गस्त करने वाले भी क्षेत्र के किसी एक स्थान पर बैठकर अपनी ड्यूटी कर लेते हैं और खानापूर्ति के बाद सुबह अपने घरों को लौट जाते हैं जिसका विपरीत असर यह हो रहा है कि शहर की लगभग हर थाना क्षेत्र में अपराधों का ग्राफ बढ़ा है जब ऊपर से कोई आदेश मिलता है तो जरूर पुलिस कुछ एक्टिव हो जाती है बाकी सब कुछ पुराने ढररे पर ही चल रहा है ना तो पुलिस जनता के बीच अपना विश्वास कायम कर पा रही है और ना ही अपराधियों में पुलिस का वह खौफ पैदा नहीं हो रहा जो होना चाहिए इसके लिए जरूरी हो जाता है कि पुलिस कप्तान के द्वारा दिए जाने वाले निर्देश और आदेशों का न केवल कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराया जाए बल्कि कार्य में लापरवाही बरतने वालों पर भी कार्यवाही की जानी चाहिए तब कहीं जाकर ही पुलिस कप्तान की मंशा को पूरा किया जा सकता हैः