लेजर थेरेपी से किया गया घायल तेंदुए का इलाज:एमपी वाइल्डलाइफ सेंटर में पहली बार अभिनव प्रयोग

नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विश्विधालय में यह पहला मौका है जब किसी घायल तेंदुए का इलाज लेजर थेरेपी से किया जा रहा है। मरणासन्न हालत में मंडला से जबलपुर विश्विधालय लाए गए तेंदुए की हालत में लगतार सुधार भी हो रहा हो है। 15 दिन पहले घायल तेंदुए को वन विभाग वालों ने जबलपुर नानाजी देशमुख यूनिवर्सिटी के वाइल्ड लाइफ डिपार्टपेंट में लेकर आए थे, उस दौरान तेंदुए के शरीर में काफ़ी चोट थी। रीढ़ की हड्डी में भी इंफेक्शन था।
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नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय में पदस्थ वाइल्डलाइफ डॉक्टर शोभा जाबरे ने बताया कि जिस समय घायल अवस्था में तेंदुए को लाया गया था उसे दौरान उसकी हालत बहुत ही खराब थी, उसके बचने की भी किसी तरह से उम्मीद नहीं की जा रही थी। घायल तेंदुए का लगातार इलाज किया जा रहा था। डॉ शोभा जाबरे का कहना है कि स्टडी टीम अभी जब उसका इलाज करती है तो वह आक्रमक नही होता है। हालांकि तेंदुए ज्यादा खाना खाने में अभी असमर्थ है।
डॉ शोभा जाबरे ने बताया कि करीब 15 दिन पहले मंडला के कान्हा नेशनल पार्क से लगे बमहनी- बंजर रोड के किनारे 5 साल का घायल तेंदुआ वन विभाग को मिला था। तेंदुए की पिछले पैरों में गंभीर भाव थे और वह चलने में भी पूरी तरह से असमर्थ था। तेंदुए को देखकर यह भी लग रहा था कि कई मर्तबा उसके ऊपर डॉग्स ने हमला भी किया है। जिसके चलते पिछले पैर में उसे गंभीर भाव भी हो गए थे। कान्हा वन विभाग की टीम उसे 12 सितंबर को लेकर वाइल्डलाइफ सेंटर लेकर आई थी तभी से डॉक्टरों की टीम लगातार उसका इलाज करने में जुटी हुई है।

नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय ने अभी तक डॉग्स और उन एनिमल का लेजर थेरेपी से इलाज जरूर किया था लेकिन यह पहली मर्तबा है जब वाइल्डलाइफ एनिमल को लेजर थेरेपी दी जा रही है। हॉट लेजर थेरेपी से आंख, कान और त्वचा की चोटों को भरने का काम किया जाता है लेकिन कोल्ड लेजर थेरेपी से वन्य प्राणियों की हड्डियां और अंदरूनी मांसपेशियों में होने वाले घाव को भी भरा जाता है। अभी घायल तेंदुए को कोल्ड लेजर थेरेपी दी जा रही है, जिसे की मध्य प्रदेश में पहली बार प्रयोग किया गया है। इस प्रयोग से तेंदुए को काफी हद तक राहत में मिली है बताया जा रहा है कि जल्द ही तेंदुआ स्वस्थ होकर अपनी साधारण लाइफ जी सकता है।