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पितृपक्ष के आखिरी दिन कैसे करें पितरों को विदाई, जानें श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान की पूरी विधि

दिन की शुरुआत स्नान और साफ-सफाई से करें

पितृपक्ष के आखिरी दिन कैसे करें पितरों को विदाई, जानें श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान की पूरी विधि

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हर साल आश्विन मास की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या के रूप में मनाया जाता है. यह दिन उन सभी पितरों को याद करने का दिन होता है, जिनकी तिथि याद न हो या जो अनजाने में छूट गए हों. माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान जो दिवंगत आत्माएं धरती पर आती हैं, उन्हें इस दिन विधि-विधान श्राद्ध, तर्पण आदि करने के बाद आदर के साथ विदा किया जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार अगर इस दिन पितरों के लिए श्रद्धापूर्वक श्राद्ध किया जाए तो वे अपना आशीर्वाद बरसाते हैं। आइए सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों के लिए की जाने वाली पूजा और इसका धार्मिक महत्व जानते हैं। 

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दिन की शुरुआत स्नान और साफ-सफाई से करें

सर्वपितृ अमावस्या वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान—ध्यान करें। यदि संभव हो तो गंगा जैसी पवित्र नदी में स्नान करने के लिए जाएं और अगन ऐसा संभव न हो तो घर पर गंगाजल मिलाकर भी नहाया जा सकता है. स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें और मन को शांत रखें.

स्नान के बाद करें पितरों के लिए तर्पण 

तर्पण का मतलब है जल के माध्यम से पितरों को श्रद्धांजलि देना. इसके लिए एक लोटे में पानी लें, उसमें जौ, काले तिल और कुश डालकर पितृ आदि को जल दें। पितरों के लिए जल दक्षिण दिशा की ओर मुख करके देना चाहिए. जल देते समय “ॐ पितृभ्यः स्वधा” मंत्र बोलें. यह क्रिया मन से करनी चाहिए, दिखावे के लिए नहीं.

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कैसे करें पितरों का पिंडदान?

पितरों के लिए पिंडदान यदि संभव हो तो किसी योग्य पुरोहित की देखरेख में करना चाहिए। ​पिंडदान करने के लिए चावल, जौ, तिल और गाय का घी मिलाकर गोल आकार के पिंड बनाएं. इन्हें साफ जगह पर पत्ते या थाली में रखें और पितरों का ध्यान करके अर्पित करें. पिंडदान से पितरों को तृप्ति मिलती है और वे आशीर्वाद देते हैं.

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