जबलपुरभोपालमध्य प्रदेशराज्य

13% होल्ड ओबीसी अभ्यर्थियों द्वारा दायर याचिकाओं में सरकार नहीं दे रही जबाब, हाईकोर्ट ने दिया अंतिम अवसर

जबलपुर यश भारत। महाधिवक्ता के अभिमत को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।महाअधिवक्ता कार्यालय ने विधायिका के कानून के विरूध अभिमत देकर 13% ओबीसी को होल्ड करवाया था ।महाधिवक्ता पर आरोप है कि विधायिका से पारित कानून के विरुद्ध अभिमत से ओबीसी के विधिक अधिकारों पर कुठाराघात किया गया और कानून विरोधी सरकूलर जी ए डी से जारी करवा रहे है ।महाधिवक्ता कार्यालय के गलत अभिमत से प्रदेश की समस्त भर्तियों में विवादित होने के कारण हाईकोर्ट में मुक्कुदमो की भरमार मची हुई है।
महाधिवक्ता की ओबीसी आरक्षण विरोधी कार्य प्रणाली को लेकर हाईकोर्ट में खुली बहस की गई। सब इंजीनियरों की भर्ती में होल्ड अभ्यर्थियों की याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि महाधिवक्ता कार्यालय उक्त याचिकाओं में विगत 8 महीनो से समय लिया जा रहा है तथा उक्त याचिकाओं में जवाब दाखिल नहीं कर रहे न ही ओबीसी आरक्षण के प्रकरणों को निराकृत करवाने में कोई रूची ले रहे है, न ही उक्त प्रकरणों के निराकरण में महाधिवक्ता न्यायलय का सहयोग कर रहे है बल्कि ओबीसी के सैकड़ों मामलो को महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा उलझा के रखे हुए है तथा आरक्षण कानून के विरोध में तथा हाईकोर्ट के अंतरिम आदेशो की गलत व्याख्या करके शासन को गलत अभिमत देकर ओबीसी आरक्षण के विरोध में कार्य कर रहे है। साक्ष्य के तौर पर महाधिवक्ता के अभिमत को याचिका में संलग्न किया गया है, तथा हाईकोर्ट को बताया गया की महाधिवक्ता एक संवैधानिक पद है तथा प्रदेश का लोक अभियोजक है । जिसकी जिम्मेवारी भारतीय संविधान और राज्य के विधान सभा द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुरूप कार्य करने का दायित्व है इसके बदले मध्य प्रदेश सरकार के संचित निधि अर्थात पब्लिक फंड से भारी भरकम सेलरी दी जाती है। लेकिन महाधिवक्ता ओबीसी वर्ग के हितों से संबंधित शासन के कानूनों की प्रतिरक्षा नहीं करते, न ही समय सीमा में लिखित जवाब दाखिल करते है तथा भ्रमित करने उद्देश्य से न्यायालय द्वारा पारित ऐसे असंगत आदेशों पर ध्यान आकर्षित किया जाता जो याचिका में उठाए गए मुद्दों से सुसंगत नहीं है उनको रेखांकित करके कोर्ट को गुमराह किए जाने का कार्य करके ओबीसी के लाखो युवाओं के स्वर्णिम भविष्य के बर्बाद करने का दुर्भावना पूर्ण कार्य किया जाता हैं। खुले न्यायालय में ओबीसी के होल्ड अभ्यर्थियों की ओर से दायर याचिकाओं में पक्ष रख रहे ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन के अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह कोर्ट को बताया। उक्त समस्त मामलो में महाधिवक्ता कार्यालय को एक सप्ताह के अंदर जवाब देने आखिरी मौका दिया गया ।

Yash Bharat

Editor With मीडिया के क्षेत्र में करीब 5 साल का अनुभव प्राप्त है। Yash Bharat न्यूज पेपर से करियर की शुरुआत की, जहां 1 साल कंटेंट राइटिंग और पेज डिजाइनिंग पर काम किया। यहां बिजनेस, ऑटो, नेशनल और इंटरटेनमेंट की खबरों पर काम कर रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button