-अमित शाह के तीन दौरों ने उड़ा दी प्रदेश कांग्रेस की नींद
– एक तरफ बोल बम की गूँज, दूसरी तरफ एक बार फिर शिवराज की तैयारी
– शिवराज के काम, शाह की रणनीति ने मजबूत किया भाजपा का गढ़
– मध्यप्रदेश में शाह की एंट्री से कांग्रेस की रणनीति पर फिरा पानी
– शाह-शिवराज की जुगलबंदी से कांग्रेस के चेहरे पर चिंता की लकीरें
– शाह की नवरत्नज् टीम से मध्यप्रदेश में फिर सजेगा भाजपा का दरबार ?
– यशभारत विशेष रिपोर्ट –
भोपाल। मध्यप्रदेश की आबोहवा में फिर भगवा रंग तैरने लगा है। एक तरफ सावन में बोल बम की धुन दूसरी तरफ च्एक बार फिर शिवराजज् की तैयारी। वैसे तो प्रदेश पिछले 20 सालों से भाजपा का गढ़ है। चुनावी राजनीति के चाणक्य अमित शाह की एंट्री ने इस गढ़ को बनाये रखने और पहले से मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। दो सप्ताह पहले तक प्रदेश के सत्ता और संगठन के चेहरे बदले जाने की बात करने वाली कांग्रेस के चेहरे पर अब चिंता की लकीरें दिखाई दे रही है। इस बार भाजपा ने 170 से ज्यादा सीटों का लक्ष्य रखा है।
दो सप्ताह में अमित शाह ने प्रदेश में तीन दौरे किये। उनकी बिछाई बिसात के बाद कांग्रेस को अपनी पूरी रणनीति बदलने को मजबूर होना पड़ रहा है। शाह ने जिस ढंग से कैलाश विजयवर्गीय, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, ज्योतिरादित्य सिंधिया को जिम्मेदारी सौंपी है। उससे ये साफ है कि भाजपा में कोई गुटबाजी की गुंजाईश नहीं है। शिवराज सिंह चौहान हमेशा की तरफ पार्टी का जननायक चेहरा बने हुए हैं।
अमित शाह की बैठकों और बड़े नेताओं से लेकर अंतिम सिरे के कार्यकर्ताओं तक ये सन्देश बहुत साफ है कि नेतृत्व में कोई परिवर्तन नहीं होने जा रहा है। कांग्रेस को लगातार इसी उम्मीद पर अपना महल खड़ा कर रही थी कि शिवराज को हटाया जाएगा। अब उसकी उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जनता को जोडऩे वाली योजनाओं और शाह की रणनीति मिलकर भाजपा को एक बार फिर सत्ता की शपथ की तरफ ले जा सकते हैं।
पिछले सप्ताह इंदौर संभाग के कार्यकर्ता सम्मलेन ने तमाम राजनीतिक विश्लेषणों का रंग भी थोड़ा धूसर किया होगा। तमाम विश्लेषणों में भाजपा में गुटबाजी और कार्यकर्ताओं की नाराजगी की बातें कही जा रही थी। पर इंदौर सम्मेलन ने इसे भी कमजोर किया है। भाजपा महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय के तीखे शब्दों से कई बार ये सन्देश जाता है कि वे पार्टी और प्रदेश की सत्ता से नाराज हैं। इंदौर के आयोजन का जिम्मा खुद विजयवर्गीय ने अपने हाथों में लिया। अमित शाह के सामने सम्मेलन में कार्यकर्ताओं का उत्साह भाजपा की एकजुटता का सन्देश दे गया।