
जबलपुर यश भारत । पिछले तीन सालों से अटके हुए मास्टर प्लान के चलते शहर का स्वरूप बिगड़ जा रहा है। शहर हो या शहर से सटे हुए क्षेत्र जहां आनियंत्रित होकर कॉलोनी कट रही है। जिसकी अनुज्ञा सीधे भोपाल से प्राप्त हो रही हैं और डेवलपर मनमर्जी से काम कर रहे हैं। जिसका जिस का नुकसान शहर को हो रहा है। अब इसको लेकर निगम की सीमा के बाहर बन रहीं अवैध कालोनियों के खिलाफ जिला प्रशासन ने कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। बायपास और रिंग रोड के आसपास तेजी से बनाई जा रहीं ज्यादा तर कालोनियों में से अवैध कालोनियां चिह्नित की गई हैं। जिनके खिलाफ प्रशासन कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
36 गाँव में सबसे ज्यादा प्लाटिंग
जो नया मास्टर प्लान आने वाला है उसमें नगर निगम सीमा से सटे हुए 36 गांव को शामिल किया गया है जहां पर सबसे ज्यादा बिल्डरों के द्वारा अनुज्ञा ली गई है। जिसमें अधारताल, पनागर, सिहोरा, शहपुरा, पाटन, बरेला, कुंडम तहसील के गाँव है। जहाँ बन रही अवैध कालोनियों में कइयों ने खेत और सामान्य जमीन का डायवर्सन कर कालोनियों में बदल दिया है। जबकि मास्टर प्लान में अभी निश्चित नहीं हुआ है कि किस क्षेत्र को रिहाई सी रखा जाएगा या कमर्शियल रखा जाएगा या फिर ग्रीन बेल्ट में शामिल किया जाएगा।
कच्ची प्लाटिंग का चल रहा खेल
कालोनियों को बसाने वाले बिल्डरों ने बिना कालोनी लाइसेंस और विकास अनुमति के प्लाटिंग कर इन्हें ग्राहकों को बेंच भी दिया है। जांच में गिनती की कालोनियों के बिल्डरों ने ही रेरा में पंजीयन कराया है और टीएनसीपी का लाइसेंस लिया है। बिना अनुमति के कालोनियां बनाने वालों पर कार्रवाई कर प्लांटों की ब्रिकी पर भी रोक लगाने को लेकर प्रशासन तैयारी कर रहा है हालांकि 2 साल पहले भी इस तरह की मुहिम चलाई गई थी लेकिन पुराने अधिकारियों के जाते ही नए अधिकारियों ने इसे ठंडे बस्ती में डाल दिया था अब देखना होगा कि यह कार्रवाई कितने दिन चलती है।